हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

LiveLaw News Network

9 Jan 2022 11:00 AM IST

  • हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (तीन दिसंबर, 2022 से सात दिसंबर, 2022) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

    भारत माता और भूमा देवी के खिलाफ आपत्तिजनक शब्द आईपीसी की धारा 295 ए के तहत अपराध : मद्रास हाईकोर्ट

    कैथोलिक पादरी (Catholic Priest) जॉर्ज पोन्नैया के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने से इनकार करते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि "भारत माता" और "भूमा देवी" के खिलाफ इस्तेमाल किए गए आपत्तिजनक शब्द भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 295 ए के तहत धार्मिक भावनाओं को आहत करने का अपराध आकर्षित करते हैं।

    केस का शीर्षक : फादर पी. जॉर्ज पोंनिया बनाम पुलिस निरीक्षक

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    सीआईएसएफ परीक्षा 2019: राजस्थान हाईकोर्ट ने केंद्र को क्यूबिटस वल्गू से पीड़ित टैटू मार्क वाले उम्मीदवार के लिए पद खाली रखने का निर्देश दिया

    राजस्थान हाईकोर्ट की एकल पीठ ने केंद्र सरकार को अगले आदेश तक सीआईएसएफ परीक्षा, 2019 के अनुसरण में क्यूबिटस वाल्गू से पीड़ित और टैटू मार्क वाले उम्मीदवार के लिए एक पद खाली रखने का निर्देश दिया।

    जस्टिस महेंद्र कुमार गोयल ने याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत देते हुए फैसला सुनाया, "याचिकाकर्ता के वकील द्वारा प्रस्तुत प्रस्तुतियां और रिकॉर्ड पर सामग्री को ध्यान में रखते हुए यह न्यायालय प्रतिवादियों को अगले आदेश तक परीक्षा, 2019 के अनुसरण में एक पद खाली रखने का निर्देश देना उचित समझता है।"

    केस शीर्षक: रामचंद्र नाथ पुत्र सिद्ध पूस नाथ सिद्ध बनाम भारत संघ और अन्य।

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    आरोप पत्र की प्रति प्राप्त करना आरोपी के मौलिक अधिकार के समान, डीजीपी और न्यायिक मजिस्ट्रेट सुपाठ्य प्रति उपलब्ध करवाएं : राजस्थान हाईकोर्ट

    राजस्थान हाईकोर्ट ने आपराधिक मामलों में पुलिस द्वारा पेश किए जाने वाले आरोपपत्र (चार्जशीट) को लेकर अहम निर्देश जारी करते हुए कहा कि हर आरोपी को आरोप पत्र की सुपाठ्य प्रति उपलब्ध करवाई जाए। जयपुर पीठ में सुनवाई कर रहे जस्टिस फरजंद अली ने एक जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि कई याचिकाओं की सुनवाई में इस न्यायालय के संज्ञान में आया कि ट्रायल कोर्ट के समक्ष पेश किए जाने के समय आरोपियों को आरोप पत्र की अपठनीय कार्बन कॉपी/जेरोक्स उपलब्ध करवा दी जाती है, इसलिए पुलिस महानिदेशक को यह निर्देश दिए जाते हैं कि वह राजस्थान राज्य के सभी पुलिस थानाधिकारियों को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 173 व धारा 207 के वैधानिक प्रावधानों तहत प्रत्येक आरोपी को आरोप पत्र की सुपाठ्य प्रति उपलब्ध करवाने के निर्देश दें।

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    जिला न्यायालय केवल नाबालिग की 'संपत्ति' के लिए अभिभावक नियुक्त कर सकता है, 'व्यक्ति' के लिए नहीं: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि जिला न्यायालयों को नाबालिग की संपत्ति के लिए अभिभावक नियुक्त करने का अधिकार है और केवल फैमिल कोर्ट नाबालिग व्यक्ति के लिए अभिभावक नियुक्त कर सकता है।

    न्यायमूर्ति ए मोहम्मद मुस्ताक और न्यायमूर्ति सोफी थॉमस की एक खंडपीठ ने आंशिक रूप से अपील की अनुमति देते हुए नाबालिग व्यक्ति के लिए एक अभिभावक की नियुक्ति करने के जिला न्यायालय की कार्यवाही रद्द किया।

    केस का शीर्षक: के.एस. नारायण एलायथु बनाम संध्या:

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    संयुक्त खाता धारक, जो चेक का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है, उस पर एनआई एक्‍ट की धारा 138 के तहत मुकदमा नहीं चलाया जाएगा: तेलंगाना हाईकोर्ट

    तेलंगाना हाईकोर्ट ने हाल ही में चेक के अनादर से संबंधित एक मामले में फैसला सुनाया कि संयुक्त खाता धारक, जो विवादित चेक पर हस्ताक्षरकर्ता नहीं है, उस पर एनआई एक्‍ट, 1981 की धारा 138 के तहत मुकदमा नहीं चलाया जाएगा।

    अलका खांडू आव्हाड बनाम अमर स्यामप्रसाद मिश्रा में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा करते हुए जस्टिस शमीम अख्तर ने कहा कि केवल संयुक्त खाता धारक होने से, जो हस्ताक्षरकर्ता नहीं है, उस पर एनआई एक्ट की धारा 138 के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है, जब तक कि चेक पर उसके हस्ताक्षर न हों।

    केस शीर्षक: कोडम दानलक्ष्मी बनाम तेलंगाना राज्य

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    अधूरे हस्ताक्षर के कारण चेक का अनादर एनआई एक्ट की धारा 138 के तहत अपराध का गठन करता हैः जम्मू और कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट

    जम्मू और कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने कहा है कि अधूरे हस्ताक्षर के कारण चेक का अनादर एनआई एक्ट की धारा 138 के तहत अपराध का गठन करता है। जस्टिस संजय धर की पीठ ने परवेज अहमद भट नामक एक व्यक्ति और एक अन्य की याचिका पर यह टिप्पणी की।

    याचिकाकर्ताओं ने एनआई एक्ट की धारा 138 सहपठित धारा 420 आईपीसी के तहत अपराध के लिए अपने खिलाफ दायर की गई शिकायत को चुनौती दी थी। उनकी ओर से जारी चेक अपूर्ण हस्ताक्षर के कारण अनादरित हो गए ‌थे।

    केस शीर्षक - परवेज अहमद भट और अन्य बनाम फिदा मोहम्मद अयूब

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    धारा 138 एनआई एक्ट- यदि दोषी सीधे शिकायतकर्ता को जुर्माना अदा करता है तो चेक बाउंस का मामला बंद किया जा सकता हैः केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने कहा कि चेक बाउंस मामले में दोषी सीधे शिकायतकर्ता को जुर्माना राशि का भुगतान कर सकता है। अदालत में जुर्माना राशि जमा करना आवश्यक नहीं है। इस मामले में अभियुक्त द्वारा दायर आपराधिक पुनरीक्षण याचिका का निपटारा करते हुए हाईकोर्ट ने दोषसिद्धि की पुष्टि की थी लेकिन साधारण कारावास की सजा को संशोधित करते हुए 7,17,000/- रुपये का जुर्माना की सजा में बदल दिया। निचली अदालत में जुर्माने की राशि जमा करने के लिए आरोपी को छह महीने की अवधि दी गई थी।

    केस शीर्षक: राजेश्वरी बनाम केरल राज्य

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    "संपत्ति का अधिकार एक संवैधानिक अधिकार": जम्मू और कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने 'अवैध' भूमि अधिग्रहण मामले में 10 लाख मुआवजे का आदेश दिया

    जम्मू और कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने रेखांकित किया है कि संपत्ति का अधिकार संवैधानिक अधिकार है, जिसे मौलिक अधिकार और बुनियादी मानव अधिकार के रूप में स्वीकार किया गया है। हाईकोर्ट ने हाल ही में जमीन से अवैध रूप से वंचित करने के मामले में जम्मू-कश्मीर सरकार को याचिकाकर्ताओं को मुआवजे के रूप में 10 लाख का भुगतान करने का निर्देश दिया।

    चीफ जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस जावेद इकबाल वानी की खंडपीठ ने आदेश में जोर देकर कहा कि कानून में निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना और पर्याप्त मुआवजे के भुगतान के बिना किसी को भी उसकी संपत्ति से वंचित नहीं किया जा सकता है।

    केस शीर्षक - कृष्ण सिंह और अन्य बनाम राज्य और अन्य

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    वकीलों की हड़ताल- बार के सदस्य किसी के निधन पर शोक व्यक्त करने के लिए बैठक कर सकते हैं, लेकिन कोर्ट के कामकाज में बाधा डालने का अधिकार नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि बार के सदस्य किसी भी सदस्य या किसी अन्य के निधन पर शोक व्यक्त करने के लिए बैठक करने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन उन्हें न्यायालयों के कामकाज में बाधा डालने का अधिकार नहीं है।

    न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की खंडपीठ ने कमिश्नर कोर्ट बार एसोसिएशन, अयोध्या के अध्यक्ष और सचिव द्वारा बार-बार हड़ताल के लिए बिना शर्त माफी मांगने के लिए दायर हलफनामों पर विचार करते हुए यह टिप्पणी की।

    केस का शीर्षक - इम्तियाज अली एंड अन्य बनाम अपर आयुक्त फैजाबाद-I, मंडल अयोध्या, अयोध्या एंड अन्य

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