आरोप पत्र की प्रति प्राप्त करना आरोपी के मौलिक अधिकार के समान, डीजीपी और न्यायिक मजिस्ट्रेट सुपाठ्य प्रति उपलब्ध करवाएं : राजस्थान हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

6 Jan 2022 10:56 AM IST

  • आरोप पत्र की प्रति प्राप्त करना आरोपी के मौलिक अधिकार के समान, डीजीपी और न्यायिक मजिस्ट्रेट सुपाठ्य प्रति उपलब्ध करवाएं : राजस्थान हाईकोर्ट

    राजस्थान हाईकोर्ट ने आपराधिक मामलों में पुलिस द्वारा पेश किए जाने वाले आरोपपत्र (चार्जशीट) को लेकर अहम निर्देश जारी करते हुए कहा कि हर आरोपी को आरोप पत्र की सुपाठ्य प्रति उपलब्ध करवाई जाए।

    जयपुर पीठ में सुनवाई कर रहे जस्टिस फरजंद अली ने एक जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि कई याचिकाओं की सुनवाई में इस न्यायालय के संज्ञान में आया कि ट्रायल कोर्ट के समक्ष पेश किए जाने के समय आरोपियों को आरोप पत्र की अपठनीय कार्बन कॉपी/जेरोक्स उपलब्ध करवा दी जाती है, इसलिए पुलिस महानिदेशक को यह निर्देश दिए जाते हैं कि वह राजस्थान राज्य के सभी पुलिस थानाधिकारियों को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 173 व धारा 207 के वैधानिक प्रावधानों तहत प्रत्येक आरोपी को आरोप पत्र की सुपाठ्य प्रति उपलब्ध करवाने के निर्देश दें।

    इसके साथ ही साथ ही, यह न्यायालय संबंधित अधीनस्थ न्यायालयों को यह जांचने और सत्यापित करने का निर्देश देना उचित समझता है कि अनुसंधान एजेंसी द्वारा अभियुक्तों को प्रदान की जा रही प्रतियां सुपाठ्य हों।

    जस्टिस फरजंद अली ने कहा,

    "आरोप पत्र की प्रति प्राप्त करना हर आरोपी के मौलिक अधिकार के समान है। उसे जानने का अधिकार है कि जिसके कारण उसकी स्वतंत्रता में कटौती गई है या उसे विचारण की कठोरता का सामना करने के लिए मजबूर किया गया है, उन आरोपों की प्रकृति क्या है। इस संबंध में सीआरपीसी के वैधानिक प्रावधान बहुत स्पष्ट हैं।"

    इस मामले में डीजीपी और संबंधित मजिस्ट्रेट दोनों यह सुनिश्चित करेंगे कि अब से जब भी आरोप पत्र की एक प्रति आरोपी को प्रदान की जाए तो यह एक सुपाठ्य प्रति होनी चाहिए और कार्बन कॉपी से बचना चाहिए।

    राजस्थान राज्य में अधीनस्थ मजिस्ट्रेट को निर्देश प्रसारित करने के उद्देश्य से रजिस्ट्री को इस आदेश की प्रति राजस्थान के पुलिस महानिदेशक के साथ-साथ राजस्थान हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को भेजने का निर्देश दिया जाता है।

    एडवोकेट रजाक के. हैदर, लाइव लॉ नेटवर्क

    आदेश की प्रति के लिए यहां क्लिक करें



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