HPNLU शिमला ने “फोरेंसिक विज्ञान में वर्तमान रुझान: विधि शिक्षा और न्याय प्रशासन” विषय पर एक सप्ताह के संकाय विकास कार्यक्रम का शुभारंभ किया
हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एचपीएनएलयू), शिमला के अपराध विज्ञान एवं फोरेंसिक विज्ञान केंद्र (सीसीएफएस) ने माननीय कुलपति प्रो. (डॉ.) प्रीति सक्सेना के नेतृत्व में, राज्य फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला, हिमाचल प्रदेश, जुन्गा के सहयोग से “फोरेंसिक विज्ञान में वर्तमान रुझान: विधि शिक्षा और न्याय प्रशासन” विषय पर एक सप्ताह के संकाय विकास कार्यक्रम (एफडीपी) का औपचारिक उद्घाटन किया। यह कार्यक्रम 10 से 15 नवंबर 2025 तक आयोजित होगा।
उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. भीमराव अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय, जयपुर की कुलपति प्रो. (डॉ.) निष्ठा जसवाल तथा कार्यक्रम की संरक्षक और फोरेंसिक सेवा निदेशालय, हिमाचल प्रदेश की निदेशक प्रो. (डॉ.) मीनाक्षी महाजन उपस्थित रहीं। इस अवसर पर देशभर के वरिष्ठ शिक्षाविदों, फोरेंसिक विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और प्रतिभागियों ने सहभागिता की।
अपने उद्बोधन में माननीय कुलपति प्रो. (डॉ.) प्रीति सक्सेना ने कहा कि आधुनिक न्याय व्यवस्था में फोरेंसिक विज्ञान का महत्व निरंतर बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि कानूनी शिक्षा में फोरेंसिक विज्ञान का समावेश न केवल अकादमिक आवश्यकता है, बल्कि न्याय की निष्पक्षता और वैज्ञानिक सटीकता सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने अंतःविषयक अध्ययन और व्यावसायिक प्रशिक्षण को बढ़ावा देने की विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को दोहराया।
मुख्य अतिथि प्रो. (डॉ.) निष्ठा जसवाल ने विज्ञान और कानून के बीच सहयोगात्मक संबंधों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि डीएनए प्रोफाइलिंग, नार्को-एनालिसिस, ब्रेन मैपिंग और पॉलीग्राफ जैसी तकनीकें न्यायिक प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, परंतु इनके प्रयोग में मौलिक अधिकारों और मानव गरिमा की रक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। उन्होंने इस एफडीपी को न्याय प्रणाली में उभरती तकनीकों से संबंधित चुनौतियों से निपटने हेतु एक दूरदर्शी पहल बताया।
फोरेंसिक सेवा निदेशालय, हिमाचल प्रदेश की निदेशक प्रो. (डॉ.) मीनाक्षी महाजन ने कहा कि एचपीएनएलयू शिमला और निदेशालय के बीच यह सहयोग फोरेंसिक विज्ञान के व्यावहारिक और सैद्धांतिक पक्षों के बीच की खाई को कम करने में महत्त्वपूर्ण योगदान देगा। उन्होंने भविष्य में भी निरंतर सहयोग का आश्वासन दिया।
छह दिवसीय इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रतिभागियों को फोरेंसिक विज्ञान, विधि शिक्षा और न्याय प्रशासन के अंतःविषयक पहलुओं की गहन समझ प्रदान करना है। विभिन्न प्रतिष्ठित राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के विशेषज्ञ इस दौरान अपने व्याख्यान देंगे, जिनमें शामिल हैं:
प्रो. (डॉ.) विशाल शर्मा – पंजाब विश्वविद्यालय
प्रो. (डॉ.) वाघेश्वरी देसवाल – दिल्ली विश्वविद्यालय
प्रो. (डॉ.) ज्योति रतन – पंजाब विश्वविद्यालय
प्रो. (डॉ.) पीयूष कपिला – आईजीएमसी, शिमला
प्रो. (डॉ.) जे. पी. यादव – सीजीसी विश्वविद्यालय
डॉ. के. पी. सिंह, पूर्व डीजीपी – हरियाणा
डॉ. के. सी. वार्ष्णेय – आरएफएसएल, नई दिल्ली
प्रो. (डॉ.) शरणजीत कौर – आरजीन्यावि पटियाला
प्रो. (डॉ.) अरुण शर्मा – राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय, युगांडा परिसर
कार्यक्रम के समापन सत्र में पैनल चर्चा, प्रतिभागी फीडबैक और क्विज़-आधारित मूल्यांकन शामिल होगा।
यह कार्यक्रम कार्यक्रम अध्यक्ष एवं निदेशक, सीसीएफएस, डॉ. रुचि सपाहिया; सह-अध्यक्ष डॉ. नवदित्य तंवर; कार्यक्रम निदेशक डॉ. शैफाली दीक्षित; तथा समन्वयक सुश्री आरज़ू चौधरी और श्री अविरल पंडित के मार्गदर्शन में आयोजित किया जा रहा है।
संकाय विकास कार्यक्रम एचपीएनएलयू शिमला की कानूनी शिक्षा में उत्कृष्टता, अंतःविषयक अनुसंधान, और न्याय प्रणाली में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने की निरंतर प्रतिबद्धता का प्रतीक है। विश्वविद्यालय का यह प्रयास न्याय वितरण प्रक्रिया में विज्ञान और कानून के बीच समन्वय को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।