[लाइव] लोकतंत्र, असहमति और कठोर कानून पर चर्चा- क्या यूएपीए और राजद्रोह को हमारी क़ानून की किताबों में जगह मिलनी चाहिए?
कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल एकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स (CJAR) और ह्यूमन राइट्स डिफेंडर्स अलर्ट (HRDA) LIVELAW के साथ मिलकर डेमोक्रेसी, डिसेंट और कठोर कानून पर एक वेबिनार का आयोजन कर रहे हैं। इस वेबिनार का विषय है- क्या यूएपीए और सेडिशन को हमारी क़ानून की किताबों में जगह मिलनी चाहिए?
वेबिनार में शामिल होने वाले सम्मानित पैनलिस्ट हैं: -
1. न्यायमूर्ति मदन भीमराव लोकुर, पूर्व न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय
2. न्यायमूर्ति आफताब आलम, पूर्व न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय
3. न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता, पूर्व न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय
4. न्यायमूर्ति अंजना प्रकाश, वरिष्ठ अधिवक्ता, पूर्व न्यायाधीश, पटना उच्च न्यायालय
5 . जस्टिस गोपाल गौड़ा, पूर्व जज, सुप्रीम कोर्ट
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