उत्तराखंड हाईकोर्ट ने डीएम, एसपी को उत्तरकाशी जामा मस्जिद की सुरक्षा करने का निर्देश दिया

Update: 2024-11-26 04:45 GMT

उत्तरकाशी में जामा मस्जिद को लेकर बढ़ते विवाद में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप करते हुए अधिकारियों को मस्जिद के आसपास सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा हेट स्पीच और विध्वंस की धमकियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

एक्टिंग चीफ जस्टिस मनोज कुमार तिवारी और जस्टिस राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने अल्पसंख्यक सेवा समिति (ASS) की याचिका पर सुनवाई की। न्यायालय ने जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक को मस्जिद की सुरक्षा करने तथा हिंसा को रोकने का निर्देश दिया।

अदालत ने आदेश दिया,

"इस बीच प्रतिवादी नंबर 2 और 3 को रिट याचिका में उल्लिखित पूजा स्थल में तथा उसके आसपास कानून-व्यवस्था बनाए रखने तथा यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है कि अगली सुनवाई की तिथि तक किसी भी व्यक्ति द्वारा कोई अप्रिय घटना न घटे।"

यह विवाद सितंबर 2024 से चल रहा है, जिसमें 3 नवंबर को हिंसक झड़पों में विरोध प्रदर्शन हुए। दक्षिणपंथी समूहों का दावा है कि 1969 में बनी और 1987 में वक्फ संपत्ति के रूप में रजिस्टर्ड मस्जिद का निर्माण सरकारी भूमि पर किया गया।

ASS का कहना है कि मस्जिद कानूनी रूप से खरीदी गई भूमि पर बनी है और 50 से अधिक वर्षों से सुन्नी मुसलमानों के पूजा स्थल के रूप में कार्य कर रही है।

हाईकोर्ट ने अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम भारत संघ में सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए मस्जिद की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए कानून और व्यवस्था बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया। उस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को औपचारिक शिकायतों के बिना भी अभद्र भाषा के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेने और मामले दर्ज करने का निर्देश दिया।

इस मामले की अगली सुनवाई 27 नवंबर को होगी।

केस टाइटल: अल्पसंख्याक सेवा समिति और अन्य बनाम उत्तराखंड राज्य और अन्य, WPCRL नंबर 1275/2024

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