हाईकोर्ट ने बिजली खरीद की जांच करने वाले आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाने वाली के. चंद्रशेखर राव की याचिका खारिज की
तेलंगाना हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव द्वारा दायर याचिका खारिज की। उक्त याचिका में उन्होंने 2014 से 2023 के बीच उनकी सरकार के दौरान बिजली खरीद से उत्पन्न कथित अनियमितताओं की जांच के लिए एक सदस्यीय आयोग के गठन को चुनौती दी थी।
जस्टिस एल नरसिम्हा रेड्डी आयोग का गठन छत्तीसगढ़ से बिजली की खरीद, भद्राद्री थर्मल पावर स्टेशन (बीटीपीएस) की स्थापना और यदाद्री थर्मल पावर स्टेशन (वाईटीपीएस) की स्थापना से संबंधित निर्णयों की सत्यता और औचित्य की जांच के लिए किया गया था।
पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया कि आयोग में पारदर्शिता का अभाव है, क्योंकि इसका नेतृत्व रिटायर जज कर रहे हैं, जो कथित तौर पर वर्तमान सत्तारूढ़ पार्टी के करीबी हैं और प्रेस कॉन्फ्रेंस में आयोग के प्रमुख ने पक्षपात दिखाया।
चीफ जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस अनिल कुमार जुकांति की खंडपीठ ने कहा कि जज (रिटायर) रेड्डी ने कभी चीफ जस्टिस का संवैधानिक पद संभाला था और उनके खिलाफ केवल प्रेस कॉन्फ्रेंस में कथित तौर पर दिए गए उनके बयान के आधार पर पक्षपात का आरोप स्थापित नहीं किया जा सकता।
इसने प्रेस कॉन्फ्रेंस की विषय-वस्तु की जांच की और निष्कर्ष निकाला कि यह केवल कार्यवाही पर स्थिति अपडेट प्रदान करता है।
न्यायालय ने कहा,
"संबंधित अंश में ऐसी कोई सामग्री नहीं है, जिससे यह संकेत मिले कि प्रतिवादी नंबर 3 [जस्टिस रेड्डी] ने अपने समक्ष लंबित मुद्दों पर पहले से ही निर्णय ले लिया।"
राज्य ने तर्क दिया कि जस्टि, (रिटायर) रेड्डी की नियुक्ति स्थापित प्रक्रियाओं के अनुसार की गई और सत्तारूढ़ पार्टी के साथ उनके पिछले जुड़ाव ने जांच को प्रभावित नहीं किया।
हालांकि राव ने तर्क दिया कि आयोग का कार्यक्षेत्र बहुत व्यापक है और इसमें विशिष्ट आरोपों का अभाव है, जिससे उनके लिए उचित बचाव तैयार करना मुश्किल हो गया। उन्होंने यह भी प्रस्तुत किया कि विद्युत विनियामक आयोग ने इन मामलों के कुछ पहलुओं पर पहले ही निर्णय ले लिया, जिससे वर्तमान आयोग निरर्थक हो गया।
न्यायालय ने यह तर्क दिया कि मामले पर राज्य प्राधिकारियों द्वारा पहले ही निर्णय लिया जा चुका है, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि आयोग के विचारार्थ विषयों के अनुसार, उसके द्वारा निर्णय लिए जाने वाले मुद्दे, संबंधित राज्य मशीनरी द्वारा किए गए निर्णय से कहीं अधिक व्यापक हैं।
इसके साथ ही याचिका खारिज कर दी गई।
केस टाइटल: कलवकुंतला चंद्रशेखर राव बनाम टी.एस. राज्य।