“अटकलों पर आधारित”: प्रिया कपूर के बेटे ने करिश्मा कपूर के बच्चों की पार्टिशन याचिका का दिल्ली हाईकोर्ट में विरोध किया

Update: 2025-11-21 17:41 GMT

दिवंगत उद्योगपति संजय कपूर की संपत्ति को लेकर चल रहे पारिवारिक विवाद में उनकी दूसरी पत्नी प्रिया कपूर के बेटे अज़ारियस एस. कपूर ने शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट में करिश्मा कपूर के बच्चों—समायरा कपूर और कियान राज कपूर—द्वारा दायर मुकदमे का जोरदार विरोध किया।

जस्टिस ज्योति सिंह की अदालत में पेश होते हुए सीनियर एडवोकेट अखिल सिब्बल ने कहा कि वादियों का पूरा मामला “सिर्फ अनुमान और कल्पना” पर आधारित है।

“बच्चों को पहले से पता था कि वे वसीयत से बाहर हैं” — सिब्बल

सिब्बल ने अदालत को बताया कि वादियों को वसीयत के गवाहों और वसीयत से बाहर रखे जाने की जानकारी पहले से थी।

उन्होंने कहा कि 30 जुलाई की बैठक के बाद वादियों ने किसी भी स्पष्टीकरण के लिए एक भी संदेश नहीं भेजा और पहली बार 22 अगस्त को वसीयत की प्रति माँगी।

उन्होंने अदालत से कहा:

“वादियों की माँ प्रतिवादी प्रिया कपूर से कागज़ी काम पूरा कराने के लिए लगातार संपर्क में थीं। उन्हें वसीयत की प्रति इसलिए नहीं मिली क्योंकि उन्होंने गोपनीयता समझौते पर हस्ताक्षर से इनकार कर दिया। उन्हें पता था कि वे वसीयत से बाहर हैं, इसलिए उनकी रणनीति वसीयत को चुनौती देना ही है।”

सिब्बल ने यह भी कहा कि वादी चाहे तो यह कहते हुए मुकदमा दायर कर सकते थे कि वसीयत संदिग्ध है, लेकिन—

“उन्हें पता था कि वे बाहर हैं, इसलिए वसीयत को चुनौती देना ही उनका एकमात्र रास्ता था।”

वादियों का दावा: वसीयत जाली, संदिग्ध और अवैध

करिश्मा कपूर के बच्चों ने अदालत में दावा किया है कि—

• उनके पिता द्वारा बनाई गई कथित वसीयत वैध नहीं है,

• जाली और घड़ी हुई है,

• और इसे संदिग्ध परिस्थितियों में तैयार किया गया है।

वादियों का मुकदमा मांग करता है कि:

• प्रिया कपूर और उनका बेटा इस कथित वसीयत का सहारा लेकर उनके विरासत अधिकारों को नकार न सकें।

• अदालत उनके लिए पिता की संपत्ति में 1/5 हिस्सेदारी तय करे।

• प्रतिवादी दिवंगत की सभी व्यक्तिगत संपत्तियों का पूरा रिकॉर्ड प्रस्तुत करें।

• संपत्तियों की बिक्री, स्थानांतरण या किसी तीसरे पक्ष को सौंपने पर प्रतिबंध लगाया जाए।

प्रिया कपूर की दलील

प्रिया कपूर ने पहले तर्क दिया था कि वसीयत में गलत वर्तनी, पता या “testator” की जगह “testatrix” लिखे जाने जैसे कारणों से वसीयत को चुनौती नहीं दी जा सकती।

अगली सुनवाई 27 नवंबर को

अदालत इस मामले की अगली सुनवाई 27 नवंबर को करेगी।

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