पश्चिम बंगाल कांग्रेस ने राज्य में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (SIR) को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया
पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस समिति ने राज्य में चुनाव आयोग द्वारा किए जा रहे मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर राहत की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
यह मामला आज जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ के समक्ष उल्लेखित किया गया, जिसमें याचिकाकर्ता ने अनुरोध किया कि इस याचिका को कल सूचीबद्ध किया जाए, क्योंकि SIR से संबंधित अन्य मामलों (बिहार और तमिलनाडु) की सुनवाई पहले से ही कल निर्धारित है।
शुरुआत में जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यह पीठ केवल बिहार SIR मामले की सुनवाई कर रही है और पश्चिम बंगाल SIR से संबंधित याचिका को किसी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का अधिकार चीफ़ जस्टिस बी.आर. गवई के पास है। हालांकि, जब वकील ने बताया कि तमिलनाडु से जुड़ी एक याचिका भी कल इसी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध है, तब न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, “ठीक है, हम देख लेंगे।”
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल SIR को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका (PIL) पहले से ही कलकत्ता हाईकोर्ट में लंबित है। उस याचिका में SIR की समयसीमा बढ़ाने और प्रक्रिया को न्यायालय की निगरानी में कराने की मांग की गई है। हाल ही में हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि वह एक हलफ़नामा दायर कर यह बताए कि राज्य में SIR प्रक्रिया किस तरह लागू की जा रही है।
यह उल्लेखनीय है कि बिहार SIR मामले के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट कल तमिलनाडु में SIR को चुनौती देने वाली द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) की याचिका पर भी सुनवाई करेगा। इस याचिका को पिछले शुक्रवार को चीफ़ जस्टिस गवई ने तत्काल सूचीबद्ध करने की अनुमति दी थी।
पिछले अगस्त माह में बिहार SIR मामले की सुनवाई के दौरान, अदालत को बताया गया था कि पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) ने बिना राज्य सरकार से परामर्श किए यह बयान दिया था कि राज्य SIR के लिए तैयार है। हालांकि उस समय न्यायालय ने कहा था कि चूंकि कोई कार्यवाही नहीं चल रही है, इसलिए वह इस मुद्दे पर तत्काल विचार नहीं करेगा।
सुनवाई के दौरान जब यह बताया गया कि तीन महिलाओं ने मतदाता सूची से नाम हटाए जाने की आशंका में कलकत्ता हाईकोर्ट के बाहर आत्मदाह का प्रयास किया था, तब न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा,
“हम व्यक्तिगत मामलों की जांच नहीं कर सकते। हम व्यापक सिद्धांतों पर विचार करेंगे, जो राज्यों पर समान रूप से लागू होंगे, बशर्ते स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार समायोजित किए जा सकें।”
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव 2026 में होने वाले हैं।