BREAKING| TOLA ने इनकम टैक्स पुनर्मूल्यांकन की समयसीमा बढ़ाई; पुरानी व्यवस्था के तहत 2021 के बाद भी जारी किए जा सकेंगे नोटिस : सुप्रीम कोर्ट

Update: 2024-10-03 08:52 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (3 अक्टूबर) को हाईकोर्ट के उन निर्णयों को खारिज कर दिया, जिनमें कहा गया कि कराधान और अन्य कानून (कुछ प्रावधानों में छूट और संशोधन अधिनियम) (TOLA) 2021 इनकम टैक्स एक्ट के तहत पुनर्मूल्यांकन के लिए नोटिस जारी करने की समयसीमा नहीं बढ़ाएगा।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने हाईकोर्ट द्वारा पारित विभिन्न आदेशों के खिलाफ आयकर विभाग द्वारा दायर 727 अपीलों को स्वीकार करते हुए निर्णय सुनाया।

निर्णय के निष्कर्ष इस प्रकार हैं:

1. 01.04.2021 के बाद इनकम टैक्स एक्ट को प्रतिस्थापित प्रावधानों के साथ पढ़ा जाना चाहिए।

2. यदि इनकम टैक्स एक्ट के प्रतिस्थापित प्रावधानों के तहत निर्दिष्ट कोई कार्रवाई या कार्यवाही 20.03.2020 और 31.03.2021 के बीच पूरी होनी है तो 01.04.2021 के बाद भी इनकम टैक्स एक्ट पर TOLA लागू रहेगा।

3. TOLA की धारा 3(1) इनकम टैक्स की धारा 149 को केवल धारा 148 के तहत पुनर्मूल्यांकन नोटिस जारी करने की समय-सीमा में छूट देने की सीमा तक ही अधिरोहित करती है।

4. TOLA धारा 151 के तहत निर्दिष्ट अधिकारियों द्वारा मंजूरी देने की समय-सीमा बढ़ाएगा। यह निर्धारित करने के लिए ट्रायल कि क्या TOLA नई व्यवस्था की धारा 151 पर लागू होगा, यह है। यदि किसी कर निर्धारण वर्ष की समाप्ति से तीन वर्ष की समय-सीमा 20.03.2020 और 31.03.2021 के बीच आती है तो धारा 151(1) के तहत निर्दिष्ट प्राधिकारी ने अनुमोदन प्रदान करने के लिए समय-सीमा 30.06.2021 तक बढ़ा दी है।

5. पुरानी व्यवस्था की धारा 151(1) के मामले में परीक्षण यह है कि यदि किसी कर निर्धारण वर्ष की समाप्ति से चार वर्ष की समय-सीमा 20.03.2020 और 31.03.2021 के बीच आती है तो धारा 151(2) के तहत निर्दिष्ट प्राधिकारी ने अनुमोदन प्रदान करने के लिए समय-सीमा 31.03.2021 तक बढ़ा दी है।

6. यूनियन ऑफ इंडिया बनाम आशीष अग्रवाल (2022) के फैसले में दिए गए निर्देश 01 अप्रैल 2021 से 30 जून 2021 के बीच जारी किए गए सभी 90,000 पुनर्मूल्यांकन नोटिसों पर लागू होंगे।

7. जिस समय के दौरान कारण बताओ नोटिस पर रोक लगाई गई थी, वह 1 अप्रैल 2021 से 30 जून 2021 के बीच नोटिस जारी करने की तारीख से है। अगर मूल्यांकन अधिकारियों द्वारा आशीष अग्रवाल में जारी किए गए निर्देशों के अनुसार मूल्यांकनकर्ताओं को प्रासंगिक जानकारी और सामग्री की आपूर्ति की जाती है और मूल्यांकनकर्ताओं को कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के लिए दो सप्ताह की अवधि दी जाती है।

8. मूल्यांकन अधिकारियों को इनकम टैक्स के तहत समय-सीमा के भीतर नई व्यवस्था की धारा 148 के तहत पुनर्मूल्यांकन नोटिस जारी करना आवश्यक था। बची हुई अवधि के बाद जारी किए गए सभी नोटिस समय-बाधित हैं और उन्हें रद्द किया जा सकता है।

9. राजीव बंसल मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले और इसी तरह के अन्य फैसलों को इस फैसले में की गई टिप्पणियों के आधार पर रद्द किया जाता है।

मुद्दा:

मामले में यह सवाल शामिल था कि क्या आयकर विभाग 1 अप्रैल, 2021 के बाद इनकम टैक्स के 2021 से पहले के प्रावधानों के अनुसार मूल्यांकन को फिर से खोल सकता है। मुख्य मुद्दा यह था कि क्या कराधान और अन्य कानून (कुछ प्रावधानों में छूट और संशोधन अधिनियम) (TOLA) 2021 का लाभ वित्त अधिनियम 2021 द्वारा संशोधित इनकम टैक्स की धारा 149 के पहले प्रावधान के तहत पुनर्मूल्यांकन के लिए निर्धारित समय सीमा को नियंत्रित करेगा।

इनकम टैक्स की धारा 149 के अनुसार, वित्त अधिनियम 2021 (01.04.2021 से प्रभावी) द्वारा इसके संशोधन से पहले प्रासंगिक मूल्यांकन वर्ष से छह साल पहले तक के मूल्यांकन का पुनर्मूल्यांकन किया जा सकता था, यदि बची हुई आय 1 लाख रुपये या उससे अधिक है।

2021 के संशोधन ने इस अवधि को बदल दिया, जिस तक कर विभाग वापस जा सकता है। संशोधित धारा 149 के अनुसार, यदि बची हुई आय 50 लाख रुपये से कम है तो संबंधित कर निर्धारण वर्ष से तीन साल पहले तक के कर निर्धारण को फिर से खोला जा सकता है। यदि बची हुई आय 50 लाख रुपये या उससे अधिक है तो विभाग संबंधित कर निर्धारण वर्ष से दस साल पहले तक वापस जा सकता है।

साथ ही 2021 के संशोधन ने नया प्रावधान (धारा 148ए) जोड़ा, जिसके अनुसार विभाग को धारा 148 के अनुसार पुनर्मूल्यांकन के लिए नोटिस भेजने से पहले प्रारंभिक नोटिस भेजना चाहिए।

हालांकि, COVID-19 महामारी के मद्देनजर, केंद्र सरकार ने अधिसूचना के माध्यम से पुराने कानून के प्रावधानों को बढ़ा दिया और पुराने कानून के प्रावधानों के अनुसार 1 अप्रैल, 2021 से 20 जून, 2021 के बीच पुनर्मूल्यांकन नोटिस जारी किए गए।

मुख्य मामले (यूनियन ऑफ इंडिया बनाम राजीव बंसल) में चुनौती इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले को दी गई, जिसमें कहा गया कि 01.04.2021 और 30.06.2021 के बीच जारी धारा 148 के तहत नोटिस के साथ शुरू की गई पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही, कराधान और अन्य कानून (कुछ प्रावधानों में छूट और संशोधन) अधिनियम (TOLA) 2020 के तहत 30.03.2021 तक छूट/विस्तार का लाभ देकर संचालित नहीं की जा सकती।

धारा 149 (1) (बी) (जैसा कि 01.04.2021 से प्रतिस्थापित किया गया) में निर्धारित समय सीमा को 30.03.2020 से राजस्व में ऐसी छूट देकर नहीं गिना जा सकता। हाईकोर्ट ने यह भी माना कि TOLA' 2020 का लाभ राजस्व को नहीं मिलेगा, या दूसरे शब्दों में TOLA' 2020 के तहत छूट कानून वित्त अधिनियम' 2021 द्वारा सम्मिलित धारा 149 के पहले प्रावधान के तहत निर्धारित समय सीमा को नियंत्रित नहीं करेगा।

2022 में सुप्रीम कोर्ट ने आयकर विभाग द्वारा 31 मार्च, 2021 के बाद असंशोधित कानून के अनुसार जारी किए गए लगभग 90,000 नोटिसों को धारा 148A (यूनियन ऑफ इंडिया बनाम आशीष अग्रवाल) के अनुसार प्रारंभिक नोटिस मानकर बचाया था।

केस टाइटल: यूनियन ऑफ इंडिया बनाम राजीव बंसल सी.ए. नंबर 8629/2024 और 726 संबंधित मामले

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