सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक मानहानि मामले में 'The Wire' को जारी समन रद्द करने का आदेश खारिज किया
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व JNU प्रोफेसर अमृता सिंह द्वारा दायर आपराधिक मानहानि मामले में 'The Wire' के संपादक और उप संपादक के खिलाफ जारी समन रद्द करने का दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश खारिज कर दिया।
जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस अरविंद कुमार की बेंच ने कहा कि हाईकोर्ट ने विवादित फैसले में समन जारी करने में अपनाए गए तर्क में गलती पाते हुए आगे बढ़कर मामले का गुण-दोष के आधार पर फैसला किया और कहा कि मानहानि का कोई मामला नहीं बनता।
कोर्ट ने कहा,
"हमारा मानना है कि हाईकोर्ट ने निश्चित रूप से अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन किया।"
इसके मद्देनजर, कोर्ट ने गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त किए बिना विवादित फैसला खारिज कर दिया। कोर्ट ने समन जारी करने के मुद्दे को मजिस्ट्रेट के पास भेज दिया।
सिंह ने 2016 में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उन्होंने अप्रैल 2016 में वायर के उप-संपादक अजय आशीर्वाद महाप्रस्थ द्वारा लिखे गए लेख का हवाला दिया था, जिसका शीर्षक था "डोजियर में जेएनयू को "संगठित सेक्स रैकेट का अड्डा" बताया गया; स्टूडेंट और प्रोफेसरों ने नफरत फैलाने वाले अभियान का आरोप लगाया।"
सिंह ने दावा किया कि लेख में आरोप लगाया गया कि उन्होंने जेएनयू को "संगठित सेक्स रैकेट का अड्डा" बताते हुए डोजियर तैयार किया। शिकायत में आरोप लगाया गया कि संपादक ने डोजियर की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं की और इसका इस्तेमाल अपनी पत्रिका के मौद्रिक लाभ के लिए किया, जिससे सिंह की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची।
वायर के संपादक सिद्धार्थ भाटिया और उप संपादक अजय आशीर्वाद के खिलाफ दिल्ली की महानगर अदालत ने 2017 में समन आदेश पारित किया। सुनवाई के दौरान अदालत के सवालों के जवाब में जेएनयू ने अक्टूबर 2023 में अदालत को बताया कि उसे ऐसा कोई डोजियर नहीं मिला है, जिसे कथित तौर पर प्रोफेसर सिंह ने यूनिवर्सिटी को "संगठित सेक्स रैकेट का अड्डा" बताते हुए तैयार किया हो।
शिकायत और विवादित आदेश का संक्षिप्त विवरण
शिकायत में आरोप लगाया गया कि संपादक ने डोजियर की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं की और इसका इस्तेमाल अपनी पत्रिका के मौद्रिक लाभ के लिए किया, जिससे सिंह की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची। इसके अलावा, शिकायत में उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आरोपी व्यक्तियों ने उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के लिए उनके खिलाफ नफरत भरा अभियान चलाया। 2017 में दिल्ली मेट्रोपॉलिटन कोर्ट ने वायर के संपादक सिद्धार्थ भाटिया और उप संपादक अजय आशीर्वाद के खिलाफ समन आदेश पारित किया।
मार्च 2023 में दिल्ली हाईकोर्ट ने समन आदेश को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसे सिंह के खिलाफ अपमानजनक माना जा सके।
न्यायालय ने दर्ज किया,
“उपर्युक्त शीर्षक केवल इतना कहता है कि डोजियर में JNU को “संगठित सेक्स रैकेट का अड्डा” कहा गया, लेकिन अंश में प्रतिवादी के खिलाफ कुछ भी नहीं कहा गया। ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसे प्रतिवादी के लिए अपमानजनक माना जा सके।”
केस टाइटल: अमिता सिंह बनाम द वायर इसके संपादक सिद्धार्थ भाटिया और अन्य के माध्यम से एसएलपी (सीआरएल) संख्या 6146/2023