पत्रकार सौम्या विश्वनाथन हत्याकांड में दोषियों को दी गई जमानत को चुनौती देने वाली दिल्ली पुलिस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया

Update: 2024-07-08 13:38 GMT

2008 में पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या के मामले से जुड़े अन्य घटनाक्रम में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका पर नोटिस जारी किया। उक्त याचिका में इस मामले में चार आरोपियों को दी गई जमानत को चुनौती दी गई।

जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ एसएलपी पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोपियों को जमानत दी गई और सजा के खिलाफ उनकी अपील पर फैसला होने तक चारों दोषियों की सजा निलंबित कर दी गई।

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने विश्वनाथन की मां द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया था, जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट के उक्त आदेश को चुनौती दी गई थी।

बेंच नोटिस जारी करने के लिए इच्छुक नहीं थी और उसने कहा,

"अपील पर फैसला होने दें। यह केवल अंतरिम है।"

हालांकि, मां की ओर से पेश वकील ने पीठ को समझाने की कोशिश की और कहा कि ये आरोपी संगठित अपराधों में शामिल थे और उन्हें दोहरी आजीवन कारावास की सजा दी गई थी। इसे देखते हुए आखिरकार नोटिस जारी किया गया।

अंग्रेजी समाचार चैनल में काम करने वाली 25 वर्षीय पत्रकार विश्वनाथन की 30 सितंबर, 2008 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। वह देर रात अपनी कार में काम से घर लौट रही थी, जब यह दुखद घटना घटी।

रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक और अजय कुमार को पिछले साल नवंबर में विशेष अदालत ने दोहरी आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जो 2008 में सौम्या की हत्या के 15 साल से भी अधिक समय बाद हुई थी। उन्हें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत हत्या के अपराध के साथ-साथ महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत संगठित अपराध करने के लिए दोषी ठहराया गया, जिसके परिणामस्वरूप किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है। उनकी सजाएँ तदनुसार चलनी थीं।

इसके बाद दोषियों ने अपनी दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया। इसके अलावा, उन्होंने अपील लंबित रहने के दौरान सजा निलंबित करने की मांग करते हुए दोषियों द्वारा दायर आवेदन भी दायर किए।

हाईकोर्ट ने इन आवेदनों को स्वीकार करते हुए कहा कि दोषियों ने लगभग 14 साल की सजा काटी है।

चार दोषियों में से रवि कपूर, अमित शुक्ला और बलजीत मलिक को 2009 के आईटी पेशेवर जिगिशा घोष हत्याकांड में भी दोषी ठहराया गया था।

बाद में तीनों ने क्रॉस एक्जामिनेशन के दौरान पुलिस के सामने खुलासा किया कि उन्होंने टेलीविजन पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की भी गोली मारकर हत्या की थी, जब वह अपने कार्यालय में रात की शिफ्ट के बाद घर जा रही थीं। दिल्ली पुलिस ने दावा किया कि उनकी हत्या के पीछे का मकसद लूटपाट था।

एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए।

केस टाइटल: दिल्ली राज्य बनाम अमित शुक्ला, एसएलपी (सीआरएल) नंबर 8044/2024

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