BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस निरीक्षक और मजिस्ट्रेट को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने वाले आरोपी की गिरफ्तारी और रिमांड के लिए अवमानना का दोषी ठहराया
सुप्रीम कोर्ट ने वेसु पुलिस स्टेशन (गुजरात) के पुलिस निरीक्षक और सूरत (गुजरात) के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित अंतरिम अग्रिम जमानत आदेश की अनदेखी करते हुए एक आरोपी को गिरफ्तार करने और रिमांड पर लेने के लिए न्यायालय की अवमानना का दोषी ठहराया।
न्यायालय ने अवमानना करने वालों को उनकी सजा तय करने के लिए 02 सितंबर, 2024 को उपस्थित रहने को कहा है।
संक्षिप्त पृष्ठभूमि देने के लिए याचिकाकर्ता, जिसका नाम धोखाधड़ी के अपराध के लिए एफआईआर में आरोपी के रूप में दर्ज किया गया, उसने गुजरात हाईकोर्ट द्वारा जमानत देने से इनकार करने के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
8 दिसंबर, 2023 को उनकी याचिका पर नोटिस जारी करते हुए न्यायालय ने उन्हें इस शर्त के साथ अंतरिम अग्रिम जमानत दी कि उन्हें जांच में सहयोग करना जारी रखना चाहिए।
हालांकि, याचिकाकर्ता का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम अग्रिम जमानत आदेश के बावजूद उसे 12 दिसंबर 2023 को नोटिस भेजा गया, जिसमें पुलिस की हिरासत याचिका के जवाब में मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया। मजिस्ट्रेट ने उसे 16 दिसंबर तक चार दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया। उसने आरोप लगाया कि पुलिस हिरासत में रहने के दौरान उसे धमकाया गया और पीटा गया।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने 10 जनवरी को गुजरात सरकार के गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, सूरत के पुलिस आयुक्त और पुलिस उपायुक्त, वेसू पुलिस स्टेशन के पुलिस निरीक्षक को अवमानना नोटिस जारी किया।
कोर्ट ने सूरत के छठे अतिरिक्त मुख्य मजिस्ट्रेट को भी अवमानना नोटिस जारी किया, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के बावजूद याचिकाकर्ता को पुलिस हिरासत में भेज दिया था। कोर्ट ने विस्तृत सुनवाई करने के बाद 12 मार्च को मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
केस टाइटल: तुषारभाई रजनीकांतभाई शाह बनाम गुजरात राज्य, एसएलपी (सीआरएल) नंबर 14489/2023, तुषारभाई रजनीकांतभाई शाह बनाम कमल दयानी डायरी नंबर- 1106 - 2024