सुप्रीम कोर्ट ने एससी कॉलेजियम, राज्य सरकार के ट्रांसफर प्रस्तावों के खिलाफ आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले में की गई टिप्पणियां हटाईं

Update: 2024-02-10 04:15 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (9 फरवरी) को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के ट्रांसफर प्रस्तावों के खिलाफ 2020 में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा पारित फैसले में की गई विवादास्पद टिप्पणियों को हटा दिया।

जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ ने फैसले के खिलाफ आंध्र प्रदेश राज्य द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका का निपटारा करते हुए कहा,

"आक्षेपित आदेश में की गई टिप्पणियां हटा दी गईं।"

जस्टिस राकेश कुमार ने अपने अंतिम कार्य दिवस पर राज्य सरकार द्वारा दायर अलग आवेदन खारिज करते हुए यह विवादास्पद फैसला सुनाया। फैसले में मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी और राज्य सरकार के खिलाफ कुछ टिप्पणियां भी थीं।

मामला जब सुनवाई के लिए बुलाया गया तो आंध्र प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जज द्वारा की गई टिप्पणियों को हटाया या हटाया जा सकता है।

सीनियर वकील सिंघवी ने कहा,

“आक्षेपित आदेश में की गई टिप्पणियों को हटाया या हटाया जा सकता है। अदालत द्वारा विवादित आदेश में ऐसा किए जाने की आवश्यकता नहीं है।''

जस्टिस त्रिवेदी ने उत्तर दिया,

"न ही राज्य सरकार द्वारा इस प्रकार का आवेदन दायर करने की आवश्यकता है।"

सिंघवी ने कहा,

"अगर इस प्रकार की टिप्पणियों को चलने की अनुमति दी गई तो इससे राज्य सरकारों के कामकाज में परेशानी पैदा होगी।"

सिंघवी द्वारा की गई दलीलों से सहमत होते हुए और जज द्वारा विवादित आदेश में की गई टिप्पणियों पर गौर करने के बाद न्यायालय ने कहा कि वह विवादित आदेश में की गई टिप्पणियों को हटाने की इच्छुक है। इसका मतलब यह है कि टिप्पणियां अप्रभावी और शून्य हो जाती है।

जस्टिस त्रिवेदी ने मौखिक रूप से टिप्पणी की,

"इस अवलोकन (एचसी अवलोकन) को कहीं भी और किसी अन्य उद्देश्य के लिए उद्धृत नहीं किया जा सकता।"

अंततः कोर्ट ने राज्य सरकार की याचिका का निपटारा किया।

कोर्ट ने कहा,

"उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए आरोपों और परस्पर आरोपों के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त किए बिना जज को पद से हटाने की मांग करने वाला राज्य का आवेदन अनुचित है, जैसा कि जज द्वारा विवादित आदेश में की गई टिप्पणियों के आधार पर किया गया। हम इसका निपटारा करते हैं।

जस्टिस राकेश कुमार को हाईकोर्ट जज के रूप में रिटायर्ड होने के बाद राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण के न्यायिक सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया। सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश की अवहेलना करने वाले आदेश को पारित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवमानना नोटिस जारी करने के बाद अक्टूबर में जस्टिस कुमार ने एनसीएलएटी सदस्य के रूप में इस्तीफा दे दिया।

केस टाइटल: आंध्र प्रदेश राज्य बनाम थोटा सुरेश बाबू

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