सुप्रीम कोर्ट का फैसला: विज्ञापन टैक्स लगाने के लिए एडेन गार्डन्स 'सार्वजनिक स्थान' नहीं
सुप्रीम कोर्ट में आज एडेन गार्डन्स को लेकर एक दिलचस्प बहस हुई—क्या यह मशहूर क्रिकेट स्टेडियम “सार्वजनिक स्थान” माना जा सकता है? और क्या कोलकाता नगर निगम (KMC) यहां लगे विज्ञापनों पर टैक्स वसूल सकता है?
KMC की ओर से सीनियर एडवोकेट जयदीप गुप्ता ने जोर देकर कहा कि एडेन गार्डन्स तो पूरी तरह “पब्लिक व्यू” में रहता है।
“स्टेडियम का हर हिस्सा बाहर से दिखता है, मैच टीवी पर आते हैं, विज्ञापन लाखों लोग देखते हैं… तो यह सार्वजनिक स्थान ही हुआ,” उन्होंने कहा।
लेकिन जजों को यह तर्क जम नहीं पाया।
जस्टिस संदीप मेहता ने कहा—
“सिर्फ दीवार ही बाहर से दिखती है। आजकल ड्रोन से भी अंदर देखा जा सकता है, तो क्या इससे कोई भी जगह सार्वजनिक हो जाएगी? यह तर्क बहुत दूर चला गया।”
कुछ ही मिनटों में कोर्ट ने साफ कर दिया कि वह KMC की याचिका खारिज कर रही है।
मामले की पृष्ठभूमि:
यह पूरा विवाद 1996 वर्ल्ड कप से जुड़ा है। CAB ने एडेन गार्डन्स में उद्घाटन समारोह और सेमीफाइनल आयोजित किए थे। इसके बाद KMC ने करीब ₹51 लाख का विज्ञापन कर मांग लिया। CAB ने यह कहते हुए इसे चुनौती दी कि:
• स्टेडियम पूरी तरह सार्वजनिक नहीं
• टिकट लेकर और सीमित समय के लिए ही प्रवेश मिलता है
• बाहर से अंदर के विज्ञापन दिखते भी नहीं
हाईकोर्ट ने CAB की दलीलों को सही माना और कहा कि:
“भीड़ कितनी भी हो, स्टेडियम तब भी निजी स्थान है—क्योंकि आम जनता को यहां खुला प्रवेश नहीं है।”
सुप्रीम कोर्ट की मुहर
सुप्रीम कोर्ट ने आज हाईकोर्ट के फैसले को पूरी तरह सही ठहराया। कोर्ट ने कहा:
• एडेन गार्डन्स “पब्लिक प्लेस” नहीं
• KMC विज्ञापन कर नहीं लगा सकता
• प्रसारण या बड़े दर्शक वाले आयोजन से जगह का सार्वजनिक चरित्र नहीं बदल जाता
KMC ने आखिरी कोशिश करते हुए कहा कि कम से कम “कानूनी प्रश्न” खुला छोड़ दिया जाए, लेकिन कोर्ट ने यह अनुरोध भी ठुकरा दिया।
इस तरह 28 साल पुराने इस टैक्स विवाद पर आज सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम मोहर लगा दी।