सुप्रीम कोर्ट ने जबरन वसूली मामले में 'धोखेबाज' सुकेश चंद्रशेखर की पत्नी लीना पॉलोज की याचिका खारिज की

Update: 2024-06-15 06:09 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने कथित ठग सुकेश चंद्रशेखर की पत्नी लीना पॉलोज की याचिका खारिज की। पॉलोज ने 200 करोड़ रुपये की जबरन वसूली मामले में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा उनकी जमानत याचिका स्थगित करने के खिलाफ याचिका दायर की थी।

पॉलोज ने दिल्ली हाईकोर्ट के 20 मई, 2024 के आदेश के खिलाफ एसएलपी दायर की थी, जिसमें उनकी जमानत याचिका जुलाई 2024 तक के लिए स्थगित कर दी गई।

जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की वेकेशन बेंच ने कहा कि हाईकोर्ट के समक्ष याचिका 14 मई को दायर की गई और फिर 20 मई को नोटिस जारी किया गया।

इस प्रकार, कोर्ट ने कहा,

"आप दो साल और आठ महीने से जेल में हैं, जैसे ही आप कोर्ट में आती हैं, आपको आदेश की आवश्यकता होती है।"

आरोपों के अनुसार, शिकायतकर्ता को उसके मोबाइल फोन पर लैंडलाइन नंबर से कॉल आया, जिसमें कॉल करने वाले (चंद्रशेखर) ने खुद को कानून मंत्रालय में सीनियर अधिकारी बताया था। उसने रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड से संबंधित मामलों में न्यायिक हिरासत में बंद उसके पति की जमानत दिलाने में उसकी मदद करने का प्रस्ताव रखा।

इसके अलावा यह भी आरोप लगाया गया कि उक्त कॉल करने वाले ने काम करवाने के लिए शिकायतकर्ता से 20 करोड़ रुपये की मांग की और पैसे की डिलीवरी के बारे में तौर-तरीके बताए। इसके अलावा, कॉल करने वाले ने अपने सहयोगियों के माध्यम से शिकायतकर्ता से कई मौकों पर पैसे ऐंठ लिए। ऐंठी गई रकम 214 करोड़ रुपये थी।

जांच के दौरान, यह पता चला कि आरोपी और उसकी पत्नी लीना पॉलोज कथित तौर पर धोखाधड़ी और जबरन वसूली के जरिए आर्थिक लाभ के इरादे से 2013 से अपने सहयोगियों के साथ संगठित अपराध सिंडिकेट चलाने में शामिल थे। यह भी पता चला कि आरोपी सुकेश चंद्र शेखर हत्या के प्रयास, आपराधिक धमकी, धोखाधड़ी और उच्च पदस्थ अधिकारियों का भेष बदलकर जबरन वसूली के कई मामलों में शामिल है।

पिछले साल दिल्ली हाईकोर्ट ने पॉलोस को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि मामला बहुत संवेदनशील प्रकृति का है और प्रथम दृष्टया आरोपी महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम, 1999 (मकोका) के तहत अपराधों में शामिल है। इसमें यह भी कहा गया कि रिकॉर्ड से पता चलता है कि लीना पॉल्स "संगठित अपराध सिंडिकेट" में शामिल है और यह अविश्वसनीय है कि उसके अकाउंट्स में इतनी बड़ी रकम आ रही है।

वह इसे केवल "कर्तव्यनिष्ठ पत्नी" के रूप में स्वीकार कर रही थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी आदेश की पुष्टि की। इसके बाद उसने हाल ही में एक और जमानत याचिका दायर की। कल सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह जांच के दायरे में थी। कार्यवाही के दौरान वेकेशन बेंच ने स्पष्ट किया कि मामले में त्वरित कार्यवाही की मांग नहीं की जा सकती।

जब वकील ने न्यायालय से कार्यवाही में तेजी लाने का अनुरोध किया तो जस्टिस कुमार ने कहा,

"हमें हाईकोर्ट के बोर्ड की व्यवस्था नहीं करनी है।"

इस प्रकार, न्यायालय ने आदेश दिया:

"विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है। लंबित आवेदन भी खारिज माने जाएंगे।"

केस टाइटल: लीना पॉलोज बनाम एनसीटी दिल्ली राज्य, डायरी नंबर - 26026/2024

Tags:    

Similar News