अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नहीं सुनाया फ़ैसला

Update: 2024-05-07 10:45 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल के प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा अपनी गिरफ्तारी को दी गई चुनौती पर सुनवाई की। अदालत आम चुनावों के बीच प्रचार के लिए उन्हें अंतरिम जमानत पर रिहा करने के सवाल पर विचार कर रही थी। लंच के बाद वाले सत्र में हुई सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कोई फैसला नहीं सुनाया।

हालांकि, कोर्ट ने संकेत दिए कि आने वाले दिनों में इस बारे में फ़ैसला सुनाया जा सकता है।

लंच से पहले मामले पर सुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि अगर उन्हें उत्पाद शुल्क नीति मामले में अंतरिम जमानत पर रिहा किया गया तो वह "किसी भी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे।"

जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने इससे पहला कहा था कि अगर अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाता है तो वह मुख्यमंत्री के तौर पर आधिकारिक कार्य नहीं करेंगे।

खंडपीठ ने कहा था कि अंतरिम जमानत के दौरान एक सीएम के रूप में उनके आधिकारिक कार्य करने का व्यापक प्रभाव हो सकता है, जिसके बाद यह उपक्रम किया गया।

जस्टिस संजीव खन्ना ने सुनवाई के दौरान कहा,

"मान लीजिए कि हम आपको रिहा करते हैं और आपको चुनाव में भाग लेने की अनुमति दी जाती है तो आप आधिकारिक कर्तव्यों का पालन करेंगे...इसके व्यापक प्रभाव हो सकते हैं...हम यह स्पष्ट करते हैं, हम नहीं चाहते कि आप आधिकारिक कर्तव्यों का पालन करें, यदि हम आपको रिहा करें तो।''

सीनियर वकील एएम सिंघवी ने तब कोर्ट को आश्वासन दिया,

"वह किसी भी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे, इस शर्त के साथ कि एलजी इस आधार पर कोई काम नहीं रोकेंगे कि मैंने किसी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं किए।"

सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल आदतन अपराधी नहीं हैं और ऐसा नहीं है कि अदालत "किसी ऐसे व्यक्ति को रिहा करेगी, जो समाज के लिए खतरा है।"

हालांकि, ED ने अंतरिम राहत का विरोध करते हुए कहा कि राजनेताओं को आम लोगों से अलग नहीं माना जा सकता। केजरीवाल के मामले को भी आम आदमी के मामले के समान ही माना जाना चाहिए।

कोर्ट ने तब टिप्पणी की,

"वह दिल्ली के निर्वाचित मुख्यमंत्री हैं। चुनाव हैं... ये असाधारण परिस्थितियां हैं। वह आदतन अपराधी नहीं हैं..."

केस टाइटल: अरविंद केजरीवाल बनाम प्रवर्तन निदेशालय

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