सुप्रीम कोर्ट ने Byju की दिवालियेपन कार्यवाही में CoC के गठन पर रोक लगाने से किया इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (20 अगस्त) को एड-टेक कंपनी Byju के खिलाफ दिवालियेपन कार्यवाही में ऋणदाताओं की समिति के गठन से समाधान पेशेवर को रोकने के लिए आदेश पारित करने से इनकार किया।
Byju का प्रतिनिधित्व कर रहे सीनियर एडवोकेट डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि BCCI के साथ समझौते को रोकने वाले सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेश का प्रभाव राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण के समक्ष कार्यवाही को पुनर्जीवित करना है।
सीजेआई ने कहा कि मामले की सुनवाई 23 अगस्त को की जाएगी तो सिंघवी ने अनुरोध किया कि इस बीच सीओसी का गठन न किया जाए।
सिंघवी ने कहा,
"आदेश पर रोक का मतलब है कि CIRP को पुनर्जीवित किया जाएगा। आम तौर पर COC का गठन अंत में किया जाएगा। अगर COC का गठन किया जाता है तो मुझे [धारा] 12 ए [IBC] आवेदन दाखिल करना होगा। आरपी को शुक्रवार से पहले सीओसी का गठन नहीं करना चाहिए, बस इतना ही मैं कह रहा हूं।"
सिंघवी का समर्थन करते हुए BCCI के लिए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा,
"अगर COC का गठन किया जाता है तो मामले की सुनवाई बिना ही हो जाएगी।"
सिंघवी ने कहा,
"अगर वे दो दिनों में COC बनाते हैं तो मामला निरर्थक हो जाएगा।"
सीजेआई ने गुरुवार को मामले की सुनवाई करने पर सहमति जताई, लेकिन कोई आदेश पारित नहीं किया।
उन्होंने कहा,
"हम मामले की सुनवाई कर रहे हैं।"
सिंघवी ने कहा,
"बहुत बढ़िया, माई लॉर्ड। हमने अपनी चिंताओं को स्पष्ट कर दिया है। देखते हैं कि वे दो दिनों में सीओसी बनाते हैं या नहीं।"
14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने NCLAT के 2 अगस्त के आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें Byju और BCCI के बीच 158 करोड़ रुपये के बकाये को लेकर हुए समझौते को मंजूरी दी गई थी। कोर्ट ने यह आदेश अमेरिका स्थित ऋणदाता ग्लास ट्रस्ट कंपनी LLC की अपील पर नोटिस जारी करते हुए दिया, जिसने समझौते का विरोध किया था।