सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश जिला बार एसोसिएशन के सदस्यों को वकीलों की हड़ताल पर बिना शर्त माफ़ी मांगने का निर्देश दिया

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Update: 2025-03-27 03:54 GMT
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश जिला बार एसोसिएशन के सदस्यों को वकीलों की हड़ताल पर बिना शर्त माफ़ी मांगने का निर्देश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने 26 मार्च मध्य प्रदेश के सिवनी जिला बार एसोसिएशन के वरिष्ठ सदस्यों को बिना शर्त माफ़ी मांगने का निर्देश दिया, जिन्होंने मार्च 2024 में अधिवक्ताओं की हड़ताल का आह्वान किया था। यह हड़ताल न्यायालय परिसर की भूमि के आवंटन को लेकर बिना एसोसिएशन से परामर्श किए लिए गए निर्णय के विरोध में बुलाई गई थी।

चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सिवनी जिला बार एसोसिएशन के 10 सदस्यों को एक महीने तक किसी भी न्यायालय में पेश होने और राज्य बार एसोसिएशन या बार काउंसिल के चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित कर दिया गया था।

आज की सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ताओं के एडवोकेट ने खंडपीठ को सूचित किया कि हड़ताल का आह्वान मुख्य रूप से इस आधार पर किया गया था कि राज्य सरकार ने जिला न्यायालय परिसर के लिए नए स्थान का एकतरफा आवंटन कर दिया था, बिना जिला बार एसोसिएशन को विश्वास में लिए।

चीफ जस्टिस ने, यह ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ताओं को 30 दिनों के लिए अदालत में पेश होने से रोक दिया गया था और 3 वर्षों के लिए चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित कर दिया गया था, मौखिक रूप से कहा:

"आपको ऐसा नहीं करना चाहिए था... एक लिखित माफ़ी दाखिल करें।"

इसके बाद खंडपीठ ने निम्नलिखित आदेश पारित किया:

"याचिकाकर्ता ने यह बयान दिया है कि वे 10 दिनों के भीतर बिना शर्त लिखित माफ़ी दाखिल करेंगे। इसे 5 मई से शुरू होने वाले सप्ताह में पुनः सूचीबद्ध किया जाए।"

अदालत ने विवादित फैसले पर अंतरिम स्थगन जारी रखने की भी अनुमति दी।

गौरतलब है कि तत्कालीन चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने 10 अप्रैल 2024 को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी।

चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ द्वारा पारित अंतरिम आदेश बार एसोसिएशन के वरिष्ठ सदस्यों द्वारा 18-20 मार्च 2024 तक हड़ताल करने की घोषणा के परिणामस्वरूप आया था। यह आदेश हाईकोर्ट के पूर्व के निर्णय "प्रवीण पांडेय बनाम मध्य प्रदेश राज्य एवं अन्य" के संदर्भ में दिया गया था, जिसमें वकीलों की हड़ताल पर प्रतिबंध लगाया गया था।

यह उल्लेखनीय है कि यह अंतरिम आदेश वकीलों की हड़ताल के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लेकर दायर की गई जनहित याचिका (PIL) की सुनवाई के दौरान आया था।

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