SARFAESI | उधारकर्ता का मोचन का अधिकार केवल तब तक उपलब्ध, जब तक गिरवी रखी गई संपत्ति की बिक्री के लिए नोटिस प्रकाशित नहीं हो जाता: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुरक्षा हित (प्रवर्तन) नियम, 2002 के नियम 9(1) के अनुसार उधारकर्ता द्वारा सुरक्षित संपत्ति को मोचन करने के अधिकार का प्रयोग केवल तब तक किया जा सकता है, जब तक गिरवी रखी गई संपत्ति की बिक्री के लिए नोटिस प्रकाशित नहीं हो जाता।
कोर्ट ने पाया कि वित्तीय संपत्तियों के प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण तथा सुरक्षा हित प्रवर्तन अधिनियम, 2002 (SARFAESI Act) में 2016 के संशोधन तक उधारकर्ता को ऐसी सुरक्षित संपत्ति की बिक्री या ट्रांसफर तक गिरवी रखी गई संपत्ति को मोचन करने का अधिकार था। हालांकि SARFAESI Act की धारा 13(8) में संशोधन के बाद मोचन के अधिकार का प्रयोग केवल बिक्री नोटिस के प्रकाशन तक ही किया जा सकता है।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एनके सिंह की पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को खारिज करते हुए ये टिप्पणियां कीं, जिसमें सुरक्षित संपत्ति की नीलामी बिक्री रद्द की गई। पीठ ने कहा कि बैंक ने बकाया राशि का भुगतान करके बंधक को भुनाने के लिए उधारकर्ता को पर्याप्त अवसर दिए। न्यायालय ने याद दिलाया कि मोचन का अधिकार असीमित नहीं है।
खंडपीठ ने कहा,
"प्रतिवादी नंबर 2 के वकील ने जोरदार ढंग से तर्क दिया कि प्रतिवादी नंबर 2 को बकाया राशि के भुगतान पर संपत्ति के मोचन का अधिकार होना चाहिए। हालांकि यह अधिकार अप्रतिबंधित नहीं है। इसके लिए एक वैधानिक सीमा निर्धारित है। SARFAESI Act की असंशोधित धारा 13(8) के अनुसार, उधारकर्ता को सुरक्षित परिसंपत्ति को भुनाने का अधिकार ऐसी सुरक्षित परिसंपत्ति की बिक्री या हस्तांतरण तक उपलब्ध था। 2016 में संशोधन के बाद उधारकर्ता को उपलब्ध मोचन का अधिकार केवल सुरक्षा हित (प्रवर्तन) नियम 2002 के नियम 9(1) के तहत नोटिस के प्रकाशन की तारीख तक उपलब्ध होगा।"
केस टाइटल: संजय शर्मा बनाम कोटक महिंद्रा बैंक लिमिटेड।