मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति वाले व्यक्तियों के लिए MBBS एडमिशन: सुप्रीम कोर्ट ने NMC की एक्सपर्ट कमेटी से अपनी राय की समीक्षा करने को कहा

Update: 2024-08-28 13:33 GMT

मानसिक स्वास्थ्य स्थिति के कारण दिव्यांग व्यक्तियों (PwD) के लिए कोटे के तहत आरक्षण से इनकार करने को चुनौती देने वाले MBBS-आकांक्षी की याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) द्वारा गठित एक्सपर्ट कमेटी को केंद्र की मार्च 2024 की अधिसूचना के आलोक में अपनी सिफारिशों की समीक्षा करने का निर्देश दिया, जिसमें निर्दिष्ट दिव्यांगताओं के आकलन के लिए कुछ दिशानिर्देश निर्धारित किए गए थे।

जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ ने आदेश पारित करते हुए NMC से 8 सप्ताह के भीतर हलफनामा मांगा।

न्यायालय भारतीय दिव्यांगता मूल्यांकन आकलन पैमाने (IDEAS) पर 40 प्रतिशत से अधिक मानसिक स्वास्थ्य स्थिति का निदान करने वाले MBBS आकांक्षी की याचिका पर विचार कर रहा था, जिसे न केवल दिव्यांग व्यक्तियों (PwD) कोटे के तहत आरक्षण से वंचित किया गया था, बल्कि दिव्यांगता प्रमाणन बोर्ड की राय के आधार पर मेडिकल साइंस कोर्स में एडमिशन से भी वंचित किया गया।

संक्षेप में कहें तो याचिकाकर्ता की शिकायत विशिष्ट अधिगम दिव्यांगता (SLD) और ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार (ASD) सहित कुछ बौद्धिक दिव्यांगता वाले व्यक्तियों के मामले में दिव्यांगता के आकलन से संबंधित है। अपनी याचिका में उन्होंने सभी इच्छुक छात्रों के लिए उनकी दिव्यांगता की प्रकृति की परवाह किए बिना मेडिकल एजुकेशन तक समान पहुंच के बारे में चिंता जताई।

पिछली सुनवाई में एडवोकेट गौरव कुमार बंसल (याचिकाकर्ता की ओर से पेश) ने बताया कि कई देश न केवल मानसिक स्वास्थ्य विकारों वाले व्यक्तियों को मेडिकल एजुकेशन प्राप्त करने की अनुमति देते हैं, बल्कि उन्हें सकारात्मक कार्रवाई का लाभ भी प्रदान करते हैं।

मई, 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने NMC को MBBS एडमिशन कोटा के लिए मानसिक बीमारियों, विशेष अधिगम विकारों और ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकारों वाले स्टूडेंट में दिव्यांगता का आकलन करने के लिए नए तरीकों की खोज करने के लिए एक्सपर्ट्स का एक पैनल बनाने का निर्देश दिया।

इस आदेश के अनुसरण में NMC द्वारा एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया गया और MBBS कोर्ट में एडमिशन के संबंध में दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत निर्दिष्ट दिव्यांगता वाले स्टूडेंट के एडमिशन के संबंध में कुछ दिशानिर्देश निर्धारित किए गए।

सितंबर में NMC ने न्यायालय को सूचित किया कि 'मानसिक बीमारियों' से पीड़ित व्यक्ति बिना किसी बाधा के ग्रेजुएठ मेडिकल एजुकेशन के लिए पात्र होंगे। उस संदर्भ में रिकॉर्ड पर रखी गई रिपोर्ट के अनुसार, मानसिक बीमारी का निदान अब उम्मीदवारों को मेडिकल एजुकेशन प्राप्त करने से नहीं रोकेगा, बशर्ते कि उन्होंने NEET-UG एडमिशन परीक्षा में प्रतिस्पर्धी रैंकिंग हासिल की हो।

इसके बाद इस वर्ष 12 मार्च को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने अधिसूचना जारी की, जिसमें मानसिक दिव्यांगता सहित निर्दिष्ट दिव्यांगताओं के आकलन के लिए व्यापक दिशा-निर्देश निर्धारित किए गए।

इस पर अपना ध्यान आकर्षित करने पर सुप्रीम कोर्ट ने अब निर्देश दिया कि NMC की एक्सपर्ट कमेटी अपनी राय की समीक्षा करे। इस आशय का हलफनामा NMC द्वारा 8 सप्ताह के भीतर दायर किया जाएगा।

केस टाइटल: विशाल गुप्ता बनाम भारत संघ और अन्य। | रिट याचिका (सिविल) नंबर 1093/2022

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