जम्मू-कश्मीर में स्थानीय ऋण वसूली न्यायाधिकरण की स्थापना की जानी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में स्थानीय ऋण वसूली न्यायाधिकरण (Debt Recovery Tribunal (DRT)) की स्थापना का आह्वान किया।
अदालत ने कहा,
"किसी दिन ऐसा करना ही होगा। जम्मू-कश्मीर की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए ऐसा करना ही होगा।"
जस्टिस अभय ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ बैंक की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें SARFAESI Act के तहत कार्रवाई को संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हाईकोर्ट में चुनौती देने की अनुमति दी गई, जब तक कि स्थानीय DRT की स्थापना नहीं हो जाती।
कार्यवाही के दौरान, जस्टिस ओक ने पूछा कि हाईकोर्ट को इन मामलों में अनुच्छेद 226 के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग क्यों नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह माना गया कि रिट याचिका सुनवाई योग्य है, क्योंकि व्यक्ति चंडीगढ़ DRT की यात्रा नहीं कर सकते।
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि DRT वर्तमान में वर्चुअल रूप से काम कर रहे हैं, जिसमें ई-फाइलिंग और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा उपलब्ध है। इसलिए उन्होंने तर्क दिया कि न्याय तक पहुंच से इनकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि केंद्र ने पहले एक हलफनामे में हाईकोर्ट को इस रुख से अवगत कराया था।
जस्टिस ओक ने वर्चुअल कनेक्टिविटी को पर्याप्त माना जाता है तो स्थानीय DRT को बनाए रखने के औचित्य पर सवाल उठाते हुए जवाब दिया। उन्होंने कहा कि अगर वर्चुअल सेवाएं पर्याप्त होतीं तो स्थानीय DRT की कोई ज़रूरत नहीं होती।
उन्होंने टिप्पणी की,
"अगर तर्क यह है कि हम केवल दो चयनित स्थानों पर न्यायाधिकरण स्थापित करते हैं, क्योंकि अब अच्छी कनेक्टिविटी है तो इसे एक ही स्थान पर करें।"
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुझाव दिया कि चंडीगढ़ डीआरटी द्वारा प्रदान की जाने वाली वर्चुअल सुनवाई सुविधाओं का उपयोग हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के विकल्प के रूप में किया जा सकता है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि यदि हाईकोर्ट अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करना जारी रखता है तो पक्षकार एक उपाय खो देंगे। उन्होंने सहमति व्यक्त की कि जम्मू-कश्मीर में स्थानीय DRT स्थापित करने की आवश्यकता होगी।
न्यायालय ने मामले को 12 अगस्त, 2024 को सूचीबद्ध किया।
केस टाइटल- जम्मू और कश्मीर बैंक लिमिटेड बनाम मेसर्स होटल अल्पाइन रिज और अन्य।