Jet Airways Insolvency : सुप्रीम कोर्ट ने जालान कलरॉक कंसोर्टियम को स्वामित्व हस्तांतरण के खिलाफ SBI की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

Update: 2024-10-17 04:05 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (16 अक्टूबर) को नकदी संकट से जूझ रही जेट एयरवेज के ऋणदाताओं द्वारा NCLAT के आदेश को चुनौती देने पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें एयरलाइन्स का स्वामित्व सफल समाधान आवेदक (एसआरए) को हस्तांतरित करने की अनुमति दी गई।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने मामले की सुनवाई की।

एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) एन वेंकटरमन जेट एयरवेज के प्रमुख ऋणदाता SBI की ओर से पेश हुए, जबकि सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी और गोपाल शंकरनारायणन सफल समाधान आवेदक (SRA) जालान कलरॉक कंसोर्टियम (JKC) का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।

कोर्ट के समक्ष मुख्य मुद्दा NCLAT के उस निर्णय को चुनौती देना था, जिसमें स्वीकृत समाधान योजना के अनुसार पूरे 350 करोड़ का भुगतान किए बिना एयरलाइन्स का स्वामित्व SRA को हस्तांतरित करने की अनुमति दी गई ।

समाधान योजना के अनुसार, SRA को 4783 करोड़ रुपये का भुगतान करना था तथा सहमति के अनुसार भुगतान की पहली किश्त में 350 करोड़ रुपये डालने थे। 18 जनवरी के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने NCLAT के 8 अगस्त, 2023 का निर्णय रद्द कर दिया, जिसमें SRA को 350 करोड़ रुपये के भुगतान की पहली किश्त को परफॉरमेंस बैंक गारंटी (PBG) के विरुद्ध समायोजित करने की अनुमति दी गई थी, जिसे ऋणदाताओं द्वारा सुरक्षा के रूप में दिया गया था।

पीठ ने निर्देश दिया कि (1) SRA 31 जनवरी 2023 को या उससे पहले SBI एस्क्रो खाते में 150 करोड़ रुपये जमा करे, ऐसा न करने पर SRA को आरपी के साथ गैर-अनुपालन माना जाएगा; (2) 150 करोड़ रुपये की PBG NCLAT के समक्ष अपील के अंतिम निपटान तक परिचालन और प्रभावी बनी रहेगी तथा उसी के परिणाम के अधीन होगी; उल्लेखनीय रूप से मार्च 2024 में NCLAT ने जेट एयरवेज की निगरानी समिति को 90 दिनों की अवधि के भीतर JKC को एयरलाइन के स्वामित्व के लंबित हस्तांतरण को पूरा करने का निर्देश दिया और SRA द्वारा 350 करोड़ रुपये के लंबित किश्त भुगतान के लिए 150 करोड़ रुपये के PBG को समायोजित करने की अनुमति दी।

शंकरनारायणन ने एयरलाइन को समाप्त करने की मांग करने वाले ऋणदाताओं के तर्कों पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 18 जनवरी के आदेश पर भागों में नहीं बल्कि पूरे तौर पर विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने जेट एयरवेज के संभावित परिसमापन के बारे में भी चिंता जताई और पूछा कि निवेश किए गए 200 करोड़ रुपये का क्या होगा और क्या SRA इसे वापस ले पाएगा।

ASG ने अपने संक्षिप्त जवाब में जोर देकर कहा कि JKC अपने वित्तीय दायित्वों को पूरा करने में विफल रही। इनमें प्रभावी तिथि से 180 दिनों के भीतर 350 करोड़ रुपये नहीं डालना और 150 करोड़ रुपये नकद में डालना और दुबई की तीन संपत्तियों को गिरवी रखना जैसी अन्य प्रमुख आवश्यकताओं को पूरा नहीं करना शामिल था। उन्होंने जोर देकर कहा कि JKC द्वारा समाधान दायित्वों को पूरा करने में विफलता गंभीर उल्लंघन है, जो न्यायालय के लिए अनुच्छेद 142 के तहत जेट एयरवे के परिसमापन का निर्देश देने के लिए उपयुक्त आधार बनाता है।

पिछली सुनवाई पर ASG ने तर्क दिया कि (1) NCLAT का विवादित आदेश सुप्रीम कोर्ट के 18 जनवरी के आदेश का उल्लंघन है; (2) PBG के साथ 150 करोड़ रुपये समायोजित करने वाला विवादित आदेश 'कानूनी रूप से गलत' है; (3) विवादित आदेश समाधान योजना की परिकल्पना के बिल्कुल विपरीत है- बाद में प्रतिभूतियों के निर्माण और उसके बाद ही PBG के समायोजन को प्राथमिकता दी जाती है; (4) समाधान योजना के अनुसार 473 करोड़ रुपये के हवाई अड्डे के बकाया का अग्रिम भुगतान नहीं किया गया।

ASG ने स्पष्ट किया कि समाधान योजना के अनुसार SRA को 4,783 करोड़ रुपये का भुगतान करना है। हालांकि यह 350 करोड़ रुपये की पहली किस्त का भुगतान करने के लिए संघर्ष कर रहा है। अब तक ऋणदाताओं को केवल 200 करोड़ रुपये मिले हैं

इसके अतिरिक्त, 289 करोड़ रुपये के कर्मचारियों का बकाया भी चुकाया जाना बाकी है। मासिक आधार पर, ऋणदाता एयरलाइंस के संचालन को बनाए रखने के लिए 22 करोड़ रुपये का भुगतान कर रहे हैं।

केस टाइटल: भारतीय स्टेट बैंक और अन्य बनाम मुरारी लाल जालान और फ्लोरियन फ्रिट्स और अन्य का संघ | सी.ए. नंबर 5023-5024/2024 और संबंधित

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