दिल्ली हाईकोर्ट से जमानत आवेदन पर शीघ्र निर्णय के लिए शरजील इमाम के अनुरोध पर विचार किए जाने की उम्मीद : सुप्रीम कोर्ट

Update: 2024-10-25 08:45 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट से आग्रह किया कि वह स्टूडेंट एक्टिविस्ट शरजील इमाम द्वारा दिल्ली दंगों की बड़ी साजिश के मामले में जमानत की मांग करते हुए दायर याचिका के शीघ्र निपटान के अनुरोध पर विचार करे, जो अप्रैल 2022 से लंबित है।

जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने इमाम द्वारा दायर रिट याचिका पर विचार करते हुए हाईकोर्ट को उसकी जमानत के मामले पर शीघ्र निर्णय लेने का निर्देश देने की मांग की, जिसमें कहा गया कि "याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट से अगली तारीख पर जमानत आवेदन पर यथाशीघ्र सुनवाई करने का अनुरोध करने की स्वतंत्रता होगी और उम्मीद है कि हाईकोर्ट उक्त अनुरोध पर विचार करेगा।"

पीठ ने कहा कि मामला 25 नवंबर को हाईकोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध है।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ दवे ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के समक्ष जमानत के लिए याचिका पर जोर नहीं दे रहे हैं। जमानत की सुनवाई में तेजी लाने के लिए राहत को सीमित कर दिया।

दवे ने बताया कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम की धारा 21(2) के अनुसार, हाईकोर्ट को तीन महीने के भीतर अपील पर निर्णय लेना चाहिए। दवे ने कहा कि जमानत खारिज किए जाने को चुनौती देने वाली इमाम की अपील 29 अप्रैल, 2022 को दायर की गई थी। इसे 64 बार स्थगित किया गया, जिसमें याचिकाकर्ता ने 8 पोस्टिंग पर समय मांगा था।

दवे ने कहा,

"मैं किसी के खिलाफ कुछ नहीं कह रहा हूं। मैं किसी को दोषी नहीं ठहरा रहा हूं। इसे अनुमति दें या अस्वीकार करें, लेकिन कृपया इस पर निर्णय लें।"

जस्टिस त्रिवेदी ने जब बताया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आठ FIR दर्ज हैं तो दवे ने स्पष्ट किया कि वर्तमान मामला 2020 के दिल्ली दंगों के पीछे कथित बड़ी साजिश के लिए गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA Act) के तहत केवल FIR से संबंधित था।

संक्षेप में मामला

इमाम पर नागरिकता संशोधन अधिनियम (CCA) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बाद उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए 2020 के सांप्रदायिक दंगों के पीछे साजिश के आरोपों पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था। उन्हें 28 जनवरी, 2020 को हिरासत में लिया गया। तब से मुकदमा लंबित है और अभी तक आरोप तय नहीं किए गए।

मामले में अन्य आरोपी हैं: ताहिर हुसैन, उमर खालिद, खालिद सैफी, इशरत जहां, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा, शिफा-उर-रहमान, आसिफ इकबाल तन्हा, शादाब अहमद, तसलीम अहमद, सलीम मलिक, मोहम्मद सलीम खान, अतहर खान, सफूरा जरगर, शरजील इमाम, फैजान खान और नताशा नरवाल।

इमाम ने जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हालांकि, उनकी याचिका खारिज कर दी गई। आदेश को चुनौती देते हुए इमाम ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने अप्रैल, 2022 में पहली बार उनकी जमानत का मामला उठाया, लेकिन तब से जजों के अलग होने, पक्षों द्वारा स्थगन मांगे जाने और रोस्टर में बदलाव के परिणामस्वरूप इस पर फैसला नहीं हो पाया। कथित तौर पर इस दौरान इमाम और मामले के अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाएं 69 बार सूचीबद्ध की गईं, लेकिन कोई प्रभावी सुनवाई नहीं हुई।

सितंबर में हाईकोर्ट ने इमाम की जमानत पर जल्द सुनवाई के लिए उनके आवेदन पर विचार करने से इनकार किया, यह कहते हुए कि मामला 7 अक्टूबर को सूचीबद्ध था। 7 अक्टूबर को याचिका पर सुनवाई करने वाली पीठ नहीं बैठी। परिणामस्वरूप, इमाम की जमानत याचिका पर सुनवाई 25 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी गई।

हाईकोर्ट द्वारा उनकी जमानत याचिका पर शीघ्र निर्णय लेने के निर्देश के लिए प्रार्थना करते हुए इमाम ने वर्तमान याचिका दायर की। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से भी जमानत की राहत मांगी।

यह याचिका एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड फौजिया शकील के माध्यम से दायर की गई।

केस टाइटल: शरजील इमाम बनाम राज्य (एनसीटी ऑफ दिल्ली), डब्ल्यू.पी. (सीआरएल) नंबर 422/2024

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