क्या हाईकोर्ट अनुच्छेद 227 के तहत अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए मुकदमों को वर्जित घोषित कर सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट इस पर विचार करेगा
सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर विचार करने के लिए तैयार है कि क्या संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत पर्यवेक्षण क्षेत्राधिकार के तहत हाईकोर्ट, सीपीसी के आदेश 7 नियम 11 के तहत शक्ति के समान, ट्रायल कोर्ट में दायर मुकदमे को वर्जित घोषित कर सकते हैं।
जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा की खंडपीठ मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए शीर्षक घोषणा और स्थायी निषेधाज्ञा के लिए मुकदमा खारिज कर दिया गया।
अनुच्छेद 227 हाईकोर्ट को अपने क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के तहत सभी न्यायालयों पर अधीक्षण की शक्ति देता है।
हाईकोर्ट के समक्ष संपत्ति के मुकदमे में प्रतिवादियों ने मूल वाद को इस आधार पर निरस्त करने की मांग करते हुए पुनर्विचार याचिका दायर की कि बेनामी संपत्ति लेनदेन निषेध अधिनियम, 1988 के प्रावधानों के तहत वाद वर्जित है।
वादीगण ने तीन पारिवारिक संपत्तियों के स्वामित्व की घोषणा और प्रतिवादियों के खिलाफ स्थायी निषेधाज्ञा की मांग करते हुए ट्रायल कोर्ट में वाद दायर किया। हाईकोर्ट ने वाद में दिए गए कथनों का हवाला देते हुए वाद को वर्जित घोषित किया।
खंडपीठ ने उल्लेख किया कि अनुच्छेद 227 के तहत अपने पुनर्विचार पर्यवेक्षी क्षेत्राधिकार के तहत हाईकोर्ट ने माना कि ट्रायल कोर्ट के समक्ष दायर मूल वाद वर्जित है। खंडपीठ ने कहा कि अनुच्छेद 227 के तहत हाईकोर्ट ने अनिवार्य रूप से सीपीसी के आदेश 7 नियम 11 के तहत शक्तियों का प्रयोग किया।
आदेश 7 नियम 11 के अनुसार सीपीसी वाद को खारिज करने के आधार निर्धारित करता है। नियम 11(डी) में कहा गया कि वाद तब खारिज किया जाएगा, जब वाद किसी कानून द्वारा वर्जित प्रतीत होता है।
इस पर विचार करते हुए खंडपीठ ने सीनियर एडवोकेट वी. प्रभाकर से अनुरोध किया कि वे न्यायालय की सहायता करें कि क्या कानून में ऐसा कोई रास्ता अपनाया जा सकता है।
न्यायालय द्वारा निम्नलिखित आदेश पारित किया गया:
"यह विचार करने के लिए कि क्या कानून में ऐसा कोई रास्ता अपनाया जा सकता है, हम मिस्टर वी. प्रभाकर, सीनियर एडवोकेट से अनुरोध करते हैं कि वे इस बिंदु पर न्यायालय की सहायता करें।"
इस मामले की सुनवाई 24 मार्च को होगी।
केस टाइटल: के. वलरमथी एवं अन्य बनाम कुमारेसन | विशेष अनुमति अपील (सी) नंबर 21466/2024