Bhima Koregaon Bail : सुप्रीम कोर्ट ज्योति जगताप और महेश राउत के मामलों की एक साथ सुनवाई करने पर विचार करेगा

Update: 2024-08-22 07:10 GMT

सह-आरोपी महेश राउत को दी गई जमानत को चुनौती देने के मामले में अन्य पीठ के समक्ष लंबित होने की जानकारी मिलने पर एक्टिविस्ट और भीमा कोरेगांव मामले के आरोपी ज्योति जगताप की जमानत याचिका पर विचार कर रही सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने रजिस्ट्री से दोनों मामलों की संयुक्त सुनवाई के लिए आदेश प्राप्त करने को कहा।

जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस अरविंद कुमार की खंडपीठ बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा नियमित जमानत देने से इनकार करने के मामले में जगताप की चुनौती पर सुनवाई कर रही थी, जब उसने यह आदेश पारित किया।

जस्टिस सुंदरेश ने कहा,

"यह प्रस्तुत किया जाता है कि आपराधिक अपील नंबर 3048/2023 वाली एक संबद्ध अपील [एनआईए] द्वारा दायर की गई। रजिस्ट्री को दोनों मामलों को एक साथ पोस्ट करने के लिए उचित आदेश लेने का निर्देश दिया जाता है।"

जगताप की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मिहिर देसाई ने न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया कि जगताप के विरुद्ध तीन मुख्य आरोप हैं - (i) कि वह एल्गर परिषद कार्यक्रम की मुख्य आयोजकों में से एक थी, (ii) उसने नाटक में भाग लिया था, जो भड़काऊ था, और (iii) गवाह के बयान के अनुसार, उसने 2011 में हथियार-ट्रेनिंग प्रोग्राम में भाग लिया था।

उन्होंने रेखांकित किया कि 285 गवाह हैं और आरोप अभी तय होना बाकी है। इसके अलावा, इस वर्ष विशेष न्यायालय द्वारा आदेश पारित किया गया। इसमें कहा गया कि अभियोजन पक्ष के रवैये के कारण मामले में देरी हो रही है। देसाई ने यह भी बताया कि जगताप चार साल से अधिक समय से हिरासत में है, जबकि मामले में गिरफ्तार 16 लोगों में से 1 की मृत्यु हो चुकी है और 7 जमानत पर बाहर हैं।

हालांकि, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने हस्तक्षेप करते हुए बताया कि सह-आरोपी महेश राउत को दी गई जमानत के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की अपील न्यायालय की अन्य पीठ के समक्ष लंबित है। एएसजी ने कहा कि राउत (उसी एफआईआर के तहत दर्ज) को हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी, लेकिन उस आदेश पर रोक लगा दी गई और आज तक NIA की अपील लंबित है।

इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सुंदरेश और जस्टिस कुमार की बेंच ने दोनों मामलों की एक साथ सुनवाई करना उचित समझा।

सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि वे अंतरिम जमानत देने पर विचार नहीं कर रहे हैं। देसाई ने तब स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता अंतरिम जमानत के लिए बिल्कुल भी दबाव नहीं बना रहा था और अंतिम राहत के लिए बहस कर रहा था।

पुनश्च: जगताप सितंबर 2020 से गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UAPA Act) के तहत अपराधों के लिए जेल में बंद है, जिसे पुणे के भीमा कोरेगांव में 2018 में हुई जाति आधारित हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया और प्रतिबंधित वामपंथी संगठन, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के साथ कथित संबंध होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।

15 जुलाई को मामले को अंतरिम जमानत पर विचार के लिए सूचीबद्ध किया गया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने व्यक्त किया कि वह जगताप को अंतरिम जमानत देने के लिए इच्छुक नहीं है। जब देसाई (जगताप की ओर से पेश) ने स्पष्ट किया कि मामले को गलती से इस तरह सूचीबद्ध किया गया और जगताप अंतरिम जमानत की मांग नहीं कर रहे थे तो मामले को स्थगित कर दिया गया।

केस टाइटल: ज्योति जगताप बनाम राष्ट्रीय जांच एजेंसी और अन्य | आपराधिक अपील संख्या 2598/2023

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