750 रुपये से अधिक एनरोलमेंट फीस लेने पर बार काउंसिलों पर अवमानना ​​की कार्रवाई होगी: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2025-10-31 04:37 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य बार काउंसिलों को पिछले साल जारी अपने निर्देशों का पालन करने का आखिरी मौका दिया, जिसमें एनरोलमेंट फीस के रूप में 750 रुपये से अधिक फीस न लेने का निर्देश दिया गया।

गौरव कुमार बनाम भारत संघ (2024) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बार काउंसिल एडवोकेट एक्ट, 1961 की धारा 24 के तहत निर्धारित फीस से अधिक एनरोलमेंट फीस नहीं ले सकते। धारा 24 में प्रावधान है कि सामान्य वर्ग के वकीलों के लिए एनरोलमेंट फीस 750 रुपये और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के वकीलों के लिए 125 रुपये से अधिक नहीं हो सकता।

इस फैसले का पालन न करने के कारण शुरू किए गए अवमानना ​​मामले में कोर्ट ने अब बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) को राज्य बार काउंसिलों को अनुपालन के लिए फिर से लिखित परिपत्र भेजने का निर्देश दिया। कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि भविष्य में यदि उसे पता चलता है कि कोई राज्य बार काउंसिल निर्धारित फीस से अधिक फीस ले रही है तो कोर्ट सीधे तौर पर उसे कोर्ट की अवमानना ​​का दोषी मानेगा।

आगे कहा गया,

"हम यह स्पष्ट करते हैं कि भविष्य में यदि हमारे संज्ञान में लाया जाता है कि कोई राज्य बार काउंसिल निर्धारित फीस से अधिक फीस ले रही है तो हम जिम्मेदार प्राधिकारी को अवमानना ​​का दोषी ठहराएंगे। बार काउंसिल ऑफ इंडिया को उस परिपत्र में इस पहलू को भी उजागर करना चाहिए, जिसे हम जारी करने के लिए कह रहे हैं।"

जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ पश्चिम बंगाल बार काउंसिल के खिलाफ दायर अवमानना ​​याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

यह अवमानना ​​याचिका नव-लॉ ग्रेजुएट द्वारा दायर की गई है, जिसमें आरोप लगाया गया कि शुरुआत में उसे एनरोलमेंट के लिए 750 रुपये की वैधानिक राशि का भुगतान करने के लिए कहा गया। लेकिन जब वह अपना एनरोलमेंट सर्टिफिकेट और मूल शैक्षणिक दस्तावेज़ लेने गईं तो याचिकाकर्ता से 4,650 रुपये की अतिरिक्त राशि मांगी गई। उन्होंने आरोप लगाया कि बार काउंसिल ने उनके मूल दस्तावेज़ अपने पास रख लिए और बिना मांगे गए अतिरिक्त भुगतान के उन्हें वापस करने से इनकार कर दिया।

उन्हें बताया गया कि यह राशि "पुस्तकालय विकास शुल्क", "भवन निधि" और "अधिवक्ता कल्याण निधि" आदि मदों में दर्शाई गई।

17 अक्टूबर को कोर्ट ने बार काउंसिल की वकील एडवोकेट राधिका गौतम को इस संबंध में उचित निर्देश लेने का निर्देश दिया। गुरुवार को उन्होंने बताया कि बार काउंसिल ने देश भर की सभी राज्य बार काउंसिलों को अगस्त, 2024 के फैसले का पालन करने के लिए बाध्य करने हेतु पहले ही सूचित कर दिया।

कोर्ट ने कहा कि बार काउंसिल के निर्देश के बावजूद, कुछ राज्य बार काउंसिल ऐसा करने में विफल रही हैं।

"ऐसा प्रतीत होता है कि यद्यपि बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने इस न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों के उचित अनुपालन के संबंध में सभी राज्य बार काउंसिलों के समक्ष यह मुद्दा उठाया। फिर भी कुछ राज्य बार काउंसिल अभी भी निर्धारित वैधानिक शुल्क से अधिक वसूली कर रही हैं।"

खंडपीठ ने BCI से अनुरोध किया कि वह इस मुद्दे को राज्य बार काउंसिलों के समक्ष तुरंत उठाए और उन्हें इसका जवाब देना होगा। कोर्ट ने इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया।

आगे कहा गया,

"हम बार काउंसिल ऑफ इंडिया को उपरोक्त मुद्दे को सभी राज्य बार काउंसिलों के समक्ष अत्यंत गंभीरता से उठाने का अंतिम अवसर देते हैं। इस बार यह एक लिखित परिपत्र के रूप में होना चाहिए। जब ​​लिखित परिपत्र ईमेल द्वारा प्रत्येक राज्य बार काउंसिल तक पहुंच जाए तो उन्हें तुरंत बार काउंसिल ऑफ इंडिया को जवाब देना चाहिए। बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा यह प्रक्रिया आज से चार सप्ताह की अवधि के भीतर पूरी कर ली जाए।"

पश्चिम बंगाल बार काउंसिल द्वारा दस्तावेजों को रोके रखने के पहलू पर कोर्ट ने एक सामान्य निर्देश भी जारी किया कि कोई भी राज्य बार काउंसिल ऐसा नहीं कर सकती। आदेश दिया गया कि लॉ ग्रेजुएट के दस्तावेज़ विधिवत उसे वापस कर दिए जाएं।

कहा गया,

"हम भारतीय बार काउंसिल को सभी राज्य बार काउंसिलों को यह सूचित करने का भी निर्देश देते हैं कि वे एनरोलमेंट के लिए आवेदन करने वाले आवेदक(ओं) के दस्तावेज़ नहीं रोक सकते। यदि कोई आवेदक(ओं) अपने दस्तावेज़ वापस चाहता है तो वे दस्तावेज़ संबंधित आवेदक(ओं) को तुरंत वापस कर दिए जाएं।

हम यह स्पष्ट करते हैं कि कोई भी राज्य बार काउंसिल मांगी गई फीस का भुगतान न करने के आधार पर संबंधित आवेदक(ओं) द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज़ों को नहीं रोकेगी। आवेदक(ओं) द्वारा वैधानिक रूप से निर्धारित राशि का भुगतान करने और दस्तावेज़ों की वापसी का अनुरोध करने पर वे दस्तावेज़ तुरंत वापस कर दिए जाएंगे।"

इस मामले की सुनवाई 4 सप्ताह बाद होगी।

बता दें कि इसी खंडपीठ ने कर्नाटक बार काउंसिल द्वारा अगस्त, 2024 के निर्देशों का पालन न करने के लिए अन्य अवमानना ​​याचिका पर सुनवाई की। इस मामले में कोर्ट को सूचित किया गया कि कर्नाटक बार काउंसिल "वैकल्पिक शुल्क" के रूप में अतिरिक्त शुल्क ले रही है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कोई भी राज्य बार काउंसिल वैकल्पिक शुल्क के रूप में कोई राशि नहीं ले सकती है।

इस वर्ष जनवरी में BCI ने 2024 के फैसले में एक आवेदन दायर कर एनरोलमेंट फीस बढ़ाकर 25,000 रुपये करने की मांग की।

Case Details: PRIYADARSHINI SAHA v PINAKI RANJAN BANERJEE

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