'सरकार विकसित होने के लिए तैयार नहीं': मृत्युदंड में फांसी के विकल्पों पर केंद्र के विरोध पर सुप्रीम कोर्ट

Update: 2025-10-15 11:23 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने आज उस जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई की जिसमें फांसी द्वारा मृत्युदंड की प्रथा को समाप्त करने और दोषी को लैथल इंजेक्शन विकल्प देने की मांग की गई है।

पीठ ने केंद्र सरकार की उस स्थिति पर निराशा जताई जिसमें वह समय के साथ बदलाव करने के लिए तैयार नहीं है। सुझाव रखा गया कि दोषी को फांसी या इंजेक्शन में से विकल्प दिया जाए, लेकिन केंद्र सरकार ने इसे "व्यावहारिक नहीं" बताया। जस्टिस मेहता ने टिप्पणी की,

“समस्या यह है कि सरकार विकसित होने के लिए तैयार नहीं है… यह बहुत पुरानी प्रक्रिया है, जबकि समय के साथ चीजें बदल गई हैं।”

याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि फांसी की प्रक्रिया लगभग 40 मिनट तक चलती है और यह क्रूर तथा अमानवीय है, जबकि इंजेक्शन के माध्यम से मृत्यु कुछ ही मिनटों में हो जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका के 49 में से 50 राज्यों में यही तरीका अपनाया गया है और दोषी को विकल्प देना मानवीय और गरिमापूर्ण होगा।

PIL में केंद्र सरकार से यह भी मांगा गया है कि CrPC की धारा 354(5) को असंवैधानिक घोषित किया जाए और गरिमापूर्ण मृत्यु का अधिकार (Right to die with dignity) को मौलिक अधिकार माना जाए।

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर तक स्थगित कर दी।

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