'5 साल का लॉ कोर्स फायदेमंद, पेशे में परिपक्व लोगों की जरूरत': सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल के बाद 3 साल के LL.B Course की याचिका पर विचार करने से इनकार किया

Update: 2024-04-22 06:54 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (22 अप्रैल) को 12वीं कक्षा के तुरंत बाद 3 साल के LL.B Course की अनुमति देने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार किया।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की खंडपीठ ने मामले पर विचार करने में अनिच्छा व्यक्त की, जिसके बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस लेने का फैसला किया।

सीजेआई ने शुरुआत में ही हल्के-फुल्के अंदाज में टिप्पणी की,

"कोई पूछ सकता है कि हाई स्कूल के तुरंत बाद तीन साल का कोर्स और प्रैक्टिस (कानून की) की अनुमति क्यों दी जाए?"

याचिकाकर्ता एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट विकास सिंह ने कहा कि स्कूल के बाद LL.B Course की 5 साल की अवधि छात्राओं को प्रभावित करती है।

सीजेआई ने सिंह की दलील का प्रतिवाद करते हुए कहा,

"लॉ स्कूल में एडमिशन लेने वाले 50% से अधिक स्टूडेंट लड़कियां हैं। जिला न्यायपालिका में अब 70% लड़कियां हैं।"

हालाँकि, सिंह ने कहा कि कोर्स की अवधि गरीब बच्चों को प्रभावित करती है। यह कहते हुए कि यूनाइटेड किंगडम में कानून की डिग्री की अवधि अब 3 साल है, सिंह ने अनुरोध किया कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया को याचिका को प्रतिनिधित्व के रूप में विचार करने के लिए कहा जाए।

हालांकि, सीजेआई ने मामले पर विचार करने की अनिच्छा दोहराई।

सीजेआई ने टिप्पणी की,

''मेरे हिसाब से 5 साल भी बहुत कम हैं।''

सीजेआई ने आगे कहा,

"हमें इस पेशे में आने वाले परिपक्व लोगों की जरूरत है। यह 5 साल का कोर्स बहुत फायदेमंद रहा है।"

सिंह ने अनुरोध किया कि बार काउंसिल से संपर्क करने की स्वतंत्रता के साथ याचिका वापस लेने की अनुमति दी जाए। हालांकि, न्यायालय ने ऐसी स्वतंत्रता नहीं दी और याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी।

जनहित याचिका में तर्क दिया गया कि LL.B Course के लिए 5 साल की अवधि "अनुचित और अतार्किक" है। वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर याचिका में केंद्र और बार काउंसिल ऑफ इंडिया को 12वीं कक्षा के बाद बैचलर ऑफ साइंस, बैचलर ऑफ कॉमर्स और बैचलर ऑफ आर्ट जैसे 3-वर्षीय बैचलर ऑफ लॉ कोर्स शुरू करने की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

याचिकाकर्ता का कहना था कि स्टूडेंट 03 साल यानी 06 सेमेस्टर में 15-20 विषय आसानी से पढ़ सकते हैं। इसलिए बैचलर ऑफ लॉ कोर्स के लिए 05 साल यानी 10 सेमेस्टर की वर्तमान अवधि अनुचित है और अत्यधिक अवधि मनमानी और तर्कहीन है। इसलिए संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन करती है।

याचिका में कहा गया था,

"अनुचित 05 वर्ष का समय कई कारणों से मनमाना और अतार्किक है। पहला, बैचलर डिग्री देने के लिए समय की लंबाई आवश्यक नहीं है, दूसरे, 05 वर्ष की लंबी अवधि स्टूडेंट के लिए उपयुक्त नहीं है, तीसरा, 05 कीमती वर्ष यह कानून की पढ़ाई के लिए आनुपातिक नहीं है और चौथा, इससे स्टूडेंट पर इतनी लंबी डिग्री पूरी करने के लिए अत्यधिक वित्तीय बोझ पड़ता है।''

केस टाइटल: अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम यूनियन ऑफ इंडिया | डायरी नंबर 17329-2024

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