सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
सुप्रीम कोर्ट में पिछले सप्ताह (03 जून, 2024 से 07 जून, 2024 तक) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।
सुनिश्चित करें कि मानसून के दौरान कोई होर्डिंग न गिरे: सुप्रीम कोर्ट ने घाटकोपर त्रासदी का उल्लेख करते हुए मुंबई अधिकारियों से कहा
रेलवे की भूमि पर होर्डिंग के लिए मुंबई नगर निगम अधिनियम के कुछ प्रावधानों की प्रयोज्यता के संबंध में ग्रेटर मुंबई नगर निगम (MCGM) द्वारा दायर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे सुनिश्चित करें कि मानसून के मौसम के आने पर शहर में होर्डिंग से संबंधित कोई अप्रिय घटना न हो।
जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस पीबी वराले की अवकाश पीठ ने मामले को अगले सप्ताह सूचीबद्ध किया, जिससे प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने का मौका मिल सके।
केस टाइटल: म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन ऑफ ग्रेटर मुंबई बनाम जगमोहन चंद्रभान गुप्ता (मृत) एलआरएस के माध्यम से, सी.ए. नंबर 6367/2024
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दिल्ली जल संकट: सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को हिमाचल प्रदेश द्वारा दिल्ली को छोड़े जाने वाले पानी के प्रवाह को सुगम बनाने का निर्देश दिया
दिल्ली के निवासियों को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (6 जून) को हरियाणा सरकार को निर्देश दिया कि वह दिल्ली के निवासियों के समक्ष आ रहे जल संकट को हल करने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा दिल्ली के लिए छोड़े जाने वाले अधिशेष जल के निर्बाध प्रवाह को सुगम बनाए।
जस्टिस पीके मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा, "आवश्यकता को देखते हुए हम हिमाचल प्रदेश को हरियाणा को पूर्व सूचना देते हुए कल पानी छोड़ने का निर्देश देते हैं और ऊपरी यमुना नदी रोड आगे की आपूर्ति के लिए पानी को मापेगा। स्थिति रिपोर्ट सोमवार को प्रस्तुत की जाए, सोमवार को सूचीबद्ध करें।"
केस टाइटल: दिल्ली सरकार बनाम हरियाणा राज्य और अन्य, डायरी नंबर 25504-2024
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कानून में बाद में किया गया बदलाव देरी को माफ करने का आधार नहीं हो सकता: सुप्रीम कोर्ट
भूमि अधिग्रहण के कई मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा कि कानून में बाद में किया गया बदलाव देरी को माफ करने का आधार नहीं हो सकता।
जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा, "अगर कानून में बाद में किए गए बदलाव को देरी को माफ करने के वैध आधार के रूप में स्वीकार किया जाता है तो यह भानुमती का पिटारा खोल देगा, जहां बाद में खारिज किए गए सभी मामले या बाद में खारिज किए गए फैसलों पर आधारित मामले इस न्यायालय में आएंगे और कानून की नई व्याख्या के आधार पर राहत मांगेंगे। कार्यवाही का कोई अंतिम निष्कर्ष नहीं होगा और हर बार जब यह न्यायालय अपने पिछले मामले से अलग निष्कर्ष पर पहुंचेगा तो ऐसे सभी मामले और उस पर आधारित मामले फिर से खोले जाएंगे।"
केस टाइटल: दिल्ली विकास प्राधिकरण बनाम तेजपाल एवं अन्य, एसएलपी(सी) नंबर 26697/2019 (और संबंधित मामले)
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प्रथम दृष्टया ट्रायल में देरी मनीष सिसोदिया के कारण नहीं हुई: दिल्ली शराब नीति मामले में सुप्रीम कोर्ट
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता मनीष सिसोदिया की दिल्ली शराब नीति मामले में जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुकदमे की शुरुआत में देरी प्रथम दृष्टया सिसोदिया के कारण नहीं हुई।
जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस संदीप मेहता की अवकाश पीठ के समक्ष यह मामला था, जिसने सिसोदिया द्वारा दायर दो विशेष अनुमति याचिकाओं का निपटारा किया।
केस टाइटल: मनीष सिसोदिया बनाम प्रवर्तन निदेशालय, एसएलपी (सीआरएल) नंबर 7795/2024 (और संबंधित मामला)
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ED/CBI द्वारा चार सप्ताह में अंतिम आरोपपत्र/शिकायत दायर करने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को नई जमानत याचिका दायर करने की अनुमति दी
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (04 जून) को शराब नीति मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के मामलों में पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका का निपटारा किया। सॉलिसिटर तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि अंतिम आरोपपत्र तीन सप्ताह में दाखिल कर दिया जाएगा। हालांकि, कोर्ट ने आरोपपत्र दाखिल करने के लिए 03 जुलाई, 2024 तक का समय दिया। साथ ही कोर्ट ने इस आरोपपत्र के दाखिल होने के बाद याचिका उठाने की भी छूट दी।
जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस संदीप मेहता की अवकाश पीठ दिल्ली हाईकोर्ट के 21 मई के आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सिसोदिया द्वारा दायर दूसरी जमानत याचिका खारिज कर दी गई। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) दोनों ने आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता के खिलाफ मामले दर्ज किए थे।
केस टाइटल: मनीष सिसोदिया बनाम प्रवर्तन निदेशालय, एसएलपी (सीआरएल) नंबर 7795/2024
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जजों की पदोन्नति के लिए 'योग्यता' निर्धारित करने के लिए उच्च योग्यता या अंक पर्याप्त नहीं ; पिछला प्रदर्शन प्रासंगिक: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट द्वारा न्यायिक अधिकारियों की पदोन्नति के संबंध में अपने निर्णय में न्यायिक अधिकारियों की पदोन्नति के संदर्भ में 'योग्यता' से क्या तात्पर्य होगा, इस पर व्यापक दृष्टिकोण अपनाया।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने न्यायिक अधिकारियों की पदोन्नति में 'योग्यता-सह-वरिष्ठता' नियम लागू करते समय 'योग्यता' का अर्थ समझाया। यह स्पष्ट किया गया कि रोजगार पदोन्नति के संदर्भ में, 'योग्यता' को अलग-अलग रूप से देखा जाना चाहिए। केवल योग्यता या प्रतियोगी परीक्षा में प्राप्त उच्च अंकों तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि इसमें पेशेवर आचरण, प्रदर्शन की प्रभावकारिता, ईमानदारी आदि को भी शामिल किया जाना चाहिए।
केस टाइटल: रविकुमार धनसुखलाल महेता और अन्य बनाम गुजरात हाईकोर्ट और अन्य | रिट याचिका (सिविल) नंबर 432/2023