मेडिकल जांच से इनकार करना बलात्कार के आरोप को खारिज करने के लिए पर्याप्त नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि नाबालिग बलात्कार पीड़िता द्वारा मेडिकल जांच से इनकार करना ही उसके द्वारा लगाए गए आरोपों पर अविश्वास करने का आधार नहीं हो सकता।
जस्टिस राजेंद्र प्रकाश सोनी की पीठ ने झूठे आरोप के कथित आधार पर POCSO आरोपी को अग्रिम जमानत देने से इनकार किया।
पीठ ने कहा,
“रिकॉर्ड के अवलोकन और प्रस्तुतियों पर विचार करने पर यह स्पष्ट होगा कि सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज बयान में पीड़िता ने याचिकाकर्ता के खिलाफ बलात्कार का विशेष रूप से आरोप लगाया। इस मामले को देखते हुए यदि पीड़िता ने मेडिकल जांच से इनकार किया होता तो उसके उपरोक्त बयान को केवल इसी आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता और यह नहीं कहा जा सकता कि याचिकाकर्ता को झूठा फंसाया गया है।”
मजिस्ट्रेट के समक्ष अपने बयान में लड़की ने आवेदक के खिलाफ बलात्कार का विशेष रूप से आरोप लगाया। हालांकि, आवेदक को झूठे आरोप में फंसाने का आरोप लगाते हुए जमानत मांगी गई, जिसमें इस तथ्य को उजागर किया गया कि लड़की ने कोई भी मेडिकल जांच कराने से इनकार किया था।
कोर्ट ने इस तथ्य को नकार दिया और कहा कि मजिस्ट्रेट के समक्ष आवेदक के खिलाफ लड़की द्वारा लगाए गए बलात्कार के स्पष्ट आरोप के मद्देनजर, मेडिकल जांच कराने से इनकार करना उस बयान को नकारने का एकमात्र आधार नहीं हो सकता। यह नहीं कहा जा सकता कि आवेदक को झूठा फंसाया गया था।
इस अवलोकन की पृष्ठभूमि में कोर्ट ने कहा कि समग्र तथ्यों और परिस्थितियों के साथ-साथ अपराध की प्रकृति और गंभीरता को देखते हुए आवेदक को अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती।
तदनुसार, आवेदन खारिज कर दिया गया।
केस टाइटल: दिनेश कुमार बनाम राजस्थान राज्य और अन्य।