₹42 करोड़ की कथित धोखाधड़ी मामले में फिल्म निर्माता विक्रम भट्ट की याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
राजस्थान हाईकोर्ट ने फिल्म निर्माता और निर्देशक विक्रम भट्ट द्वारा उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। एफआईआर में आरोप है कि फिल्म बनाने के नाम पर शिकायतकर्ता से ₹42 करोड़ की राशि ली गई और उसके साथ धोखाधड़ी की गई।
यह FIR 7 दिसंबर को विक्रम भट्ट की गिरफ्तारी के बाद दर्ज की गई थी। मामले की सुनवाई जस्टिस समीर जैन कर रहे थे। याचिका विक्रम भट्ट और गंगेश्वर लाल श्रीवास्तव द्वारा दायर की गई थी।
मामला दोनों याचिकाकर्ताओं और शिकायतकर्ता के बीच दो फिल्मों के निर्माण को लेकर हुए एक अनुबंध से जुड़ा है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि फिल्मों के निर्माण के नाम पर ₹42 करोड़ का भुगतान किया गया, लेकिन याचिकाकर्ताओं ने खर्चों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया और फर्जी खर्च किए, जिससे धोखाधड़ी और विश्वासघात का अपराध बनता है।
वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई कि यह विवाद पूरी तरह से सिविल प्रकृति का है और एक अनुबंध से जुड़ा मामला है। उन्होंने कहा कि जिन दो फिल्मों के लिए समझौता किया गया था, वे अनुबंध के अनुसार पहले ही रिलीज हो चुकी हैं।
इसके अलावा, याचिकाकर्ताओं ने पुलिस पर दुर्भावना और शक्ति के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए कहा कि एक सिविल विवाद को आपराधिक मामला बनाकर एफआईआर दर्ज की गई। यह भी कहा गया कि मामले में कोई प्रारंभिक जांच नहीं की गई और सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हुए गिरफ्तारी की गई।
दूसरी ओर, उदयपुर रेंज के आईजीपी ने पुलिस अधीक्षक, उदयपुर और संबंधित जांच अधिकारी की ओर से अदालत को बताया कि कानून के अनुसार प्रारंभिक जांच की गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि गिरफ्तारी से पहले याचिकाकर्ताओं को ई-मेल के माध्यम से पर्याप्त पूर्व सूचना दी गई थी। पुलिस का यह भी आरोप है कि फिल्मों के निर्माण के नाम पर अग्रिम राशि का गलत उपयोग किया गया और बढ़ा-चढ़ाकर तथा फर्जी खर्च दिखाए गए।
अदालत ने सभी पक्षों की दलीलें विस्तार से सुनीं, जिनमें पुलिस अधिकारियों की दलीलें भी शामिल थीं। अंत में अदालत ने पक्षकारों को लिखित दलीलें दाखिल करने का अवसर देते हुए मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।