राजस्थान हाईकोर्ट ने दुर्घटना में वाहन के उधारकर्ता की मृत्यु पर मुआवज़ा देने का आदेश दिया, कहा- वह मालिक की जगह पर था और बीमा द्वारा कवर किया गया
सुप्रीम कोर्ट के परस्पर विरोधी निर्णयों का सामना करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने मृतक के दावेदारों को मुआवज़ा देते हुए पुष्टि की कि ऐसे मामलों में जहां मृतक उधार लिए गए वाहन को चला रहा था, वह मालिक की जगह पर था और इस प्रकार बीमा अनुबंध के अनुसार व्यक्तिगत दुर्घटना कवर के लिए मुआवज़े का हकदार होगा, यदि व्यक्तिगत दुर्घटना कवर के लिए मालिक से प्रीमियम लिया गया ।
जस्टिस नुपुर भाटी की पीठ मोटर दुर्घटना दावा ट्रिब्यूनल के निर्णय के विरुद्ध मृतक के दावेदारों द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मोटर वाहन अधिनियम की धारा 163-A के तहत मुआवज़े का दावा करने वाले अपीलकर्ताओं द्वारा दायर दावा याचिका को खारिज कर दिया गया था।
अधिनियम की धारा 163-A मोटर वाहन के उपयोग से उत्पन्न दुर्घटना के कारण मृत्यु या स्थायी दिव्यांगता के मामले में पीड़ित को मुआवजा देने के लिए मोटर वाहन के मालिक की जिम्मेदारी का प्रावधान करती है।
ट्रिब्यूनल ने दावा याचिका इस आधार पर खारिज किया कि मृतक ने उधारकर्ता की हैसियत से वाहन को उसके मालिक से लिया था, इसलिए वह धारा 163-ए के तहत तीसरे पक्ष की श्रेणी में नहीं आता।
मृतक के मालिक के ड्राइवर के रूप में नियोजित होने का कोई सबूत नहीं था, जैसे कि वह मालिक के कर्मचारी की हैसियत से वाहन चला रहा था। इसके विपरीत अपीलकर्ताओं के वकील ने राम खिलाड़ी बनाम यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी (राम खिलाड़ी केस) के सुप्रीम कोर्ट के मामले पर भरोसा किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने मालिक के व्यक्तिगत दुर्घटना कवर के लिए लगाए गए प्रीमियम के कारण वाहन के मृतक/उधारकर्ता को 1 लाख रुपये का मुआवजा दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि मृतक ने मालिक की जगह ली थी। इस प्रकार बीमा कंपनी की देयता बीमा अनुबंध के अनुसार निर्धारित की गई, जबकि उसे मालिक माना गया, जिसके लिए प्रीमियम लिया गया।
न्यायालय ने अभिलेखों का अवलोकन किया और मृतक के वाहन का उधारकर्ता होने और मालिक का कर्मचारी न होने के तथ्यों पर प्रकाश डाला। सुप्रीम कोर्ट के अन्य मामले निंगम्मा अन्य बनाम यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (निंगम्मा मामला) का संदर्भ दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था,
"उधारकर्ता वाहन उधार लेते समय मालिक की जगह लेता है। वह वाहन चलाते समय वस्तुतः मालिक बन जाता है। इस प्रकार, मालिक मुआवजे का प्राप्तकर्ता नहीं हो सकता, क्योंकि भुगतान करने का दायित्व उस पर है।"
इस विश्लेषण के आधार पर न्यायालय ने पाया कि निंगम्मा मामले के आलोक में ट्रिब्यूनल ने अपीलकर्ताओं के दावे को सही तरीके से खारिज किया था। हालांकि, यह माना गया कि न्यायालय ने राम खिलाड़ी मामले पर निर्भरता के रूप में अपीलकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत तर्कों में भी योग्यता पाई। इस पृष्ठभूमि में न्यायालय ने संबंधित बीमा पॉलिसी का अवलोकन किया। इस बात पर प्रकाश डाला कि इसमें अनिवार्य व्यक्तिगत दुर्घटना कवर शामिल था, जिसके लिए मालिक को चार्ज किया गया।
राम खिलाड़ी मामले में की गई टिप्पणियों और वर्तमान मामले में बीमा पॉलिसी को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने फैसला सुनाया कि वह अपीलकर्ताओं को मुआवजे के रूप में 1 लाख रुपये देने के लिए उपयुक्त समझता है, यह देखते हुए कि उधारकर्ता ने मालिक के जूते में कदम रखा था।
तदनुसार अपील का फैसला किया गया।
केस टाइटल: आबिदा और अन्य बनाम अयूब खान और अन्य।