आगे की पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति के इच्छुक व्यक्ति से चयन से पहले नौकरी से इस्तीफा देने की उम्मीद नहीं की जा सकती: राजस्थान हाईकोर्ट

Update: 2025-08-21 08:40 GMT

राजस्थान हाईकोर्ट ने विदेश में शिक्षा के लिए इच्छुक एक छात्र को राहत प्रदान की। विदेश में अध्ययन के ‌‌लिए उस छात्र की ओर से राज्य सरकार की स्वामी विवेकानंद शैक्षणिक उत्कृष्टता छात्रवृत्ति योजना के तहत किए गए आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि वह अपना कोर्स शुरू होने से एक महीने पहले अपनी नौकरी का इस्तीफा पेश करने में विफल रहा था।

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता से कोर्स में चयन से पहले अपनी नौकरी से इस्तीफा देने की उम्मीद नहीं की जा सकती। कोर्ट ने छात्रों के लिए छात्रवृत्ति की भूमिका पर और ज़ोर दिया और इसे "जीवन बदलने वाले अवसर" कहा।

संदर्भ के लिए, यह योजना राजस्थान सरकार की एक पहल है, जो उन छात्रों के लिए है जो विदेश में स्नातक, स्नातकोत्तर, पीएचडी और पोस्ट-डॉक्टरल शोध कार्यक्रम करने की योजना बना रहे हैं।

जस्टिस अनूप कुमार ढांड ने कहा कि जब तक किसी उम्मीदवार को उसकी छात्रवृत्ति का अनंतिम चयन पत्र नहीं मिल जाता, तब तक उससे उस कंपनी से त्यागपत्र देने और कार्यमुक्ति पत्र प्रस्तुत करने की अपेक्षा और बाध्यता नहीं की जा सकती, जहां वह कार्यरत था।

निर्णय में कहा गया,

"यह न्यायालय यह समझने में असमर्थ है कि याचिकाकर्ता जैसे व्यक्ति से, चयन से पहले ही त्यागपत्र देने/कार्यमुक्ति पत्र जमा करने की अपेक्षा कैसे की जा सकती है... अलग-अलग तिथियों पर कई आपत्तियां उठाने के बजाय, प्रतिवादी पहली तिथि, यानि 05.07.2024 को ही सभी प्रकार की आपत्तियां उठा सकते थे, अतः प्रतिवादियों की ओर से देरी हुई है जिसके कारण याचिकाकर्ता छात्रवृत्ति का लाभ प्राप्त करने से वंचित रह गया है और याचिकाकर्ता को बिना किसी गलती के कष्ट सहना पड़ा है।"

इसके अलावा, न्यायालय ने यह भी बताया कि उसके छात्रवृत्ति आवेदन पर कार्रवाई में देरी भी राज्य सरकार की वजह से हुई, क्योंकि मई 2024 में आवेदन जमा करने के बाद, राज्य सरकार सितंबर 2024 तक अलग-अलग तिथियों पर अलग-अलग आपत्तियां उठाती रही, बजाय इसके कि वह एक ही तिथि पर एक साथ आपत्तियां उठाती।

छात्रवृत्ति की भूमिका पर ज़ोर देते हुए, न्यायालय ने कहा,

“आज के समाज में शिक्षा सबसे मूल्यवान और महंगी गतिविधियों में से एक बन गई है। इस स्थिति में छात्रवृत्तियां वित्तीय सहायता का सबसे पसंदीदा माध्यम बनकर उभरी हैं। छात्रवृत्तियां वित्तीय सहायता से कहीं बढ़कर हैं; ये जीवन बदलने वाले अवसर हैं। ये ज़रूरतमंद, योग्य और प्रतिभाशाली छात्रों को सपने देखने, उनके माता-पिता को आशाएं जगाने और समुदायों को आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करती हैं। छात्रवृत्तियां विभिन्न क्षमताओं, आवश्यकताओं और महत्वाकांक्षाओं वाले योग्य और सुयोग्य छात्रों को प्रदान की जाती हैं।”

याचिकाकर्ता ने मई 2024 में अपना छात्रवृत्ति आवेदन जमा किया था और उस समय वह एक संस्थान में कार्यरत था। छात्रवृत्ति की शर्तों के खंड 6(vi) के अनुसार, आवेदक को कोर्स शुरू होने से एक महीने पहले अपने पद से इस्तीफा देना था।

आवेदक का लीड्स यू‌निवर्सिटी (यूके) में कोर्स सितंबर 2024 से शुरू होना था। छात्रवृत्ति आवेदन जमा होने के बाद, राज्य सरकार मई 2024 से सितंबर 2024 के बीच अलग-अलग तारीखों पर आपत्तियां उठाती रही। फिर दिसंबर 2024 में, याचिकाकर्ता को छात्रवृत्ति प्राप्त करने के लिए अनंतिम रूप से चुना गया।

हालांकि, मार्च 2025 में, आवेदन इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि याचिकाकर्ता ने अपना कोर्स शुरू होने से एक महीने पहले अपना त्यागपत्र प्रस्तुत नहीं किया था। इसलिए, याचिका दायर की गई।

तर्कों को सुनने के बाद, न्यायालय ने यह राय दी कि,

“जब तक याचिकाकर्ता को छात्रवृत्ति प्राप्त करने के लिए उसके पक्ष में अनंतिम चयन पत्र प्राप्त नहीं हो जाता, तब तक उसे उस कंपनी से कार्यमुक्ति पत्र प्रस्तुत करने/त्यागपत्र देने के लिए नहीं कहा जा सकता और न ही बाध्य किया जा सकता है जहां वह कार्यरत/सेवारत था।”

यह भी रेखांकित किया गया कि राज्य द्वारा एक ही तिथि पर सभी आपत्तियां प्रस्तुत न करने और इस प्रक्रिया को सितंबर 2024 तक बढ़ा देने के कारण यह देरी हुई।

छात्रवृत्ति अस्वीकार करने के आदेश को रद्द करते हुए, न्यायालय ने राज्य को निर्देश दिया कि यदि याचिकाकर्ता 7 दिनों के भीतर अपना त्यागपत्र प्रस्तुत कर देता है, तो वह यू‌निवर्सिटी के अगले शैक्षणिक वर्ष की फीस जारी कर देगा, जो इस वर्ष सितंबर में शुरू होने वाली थी।

Tags:    

Similar News