मोटर दुर्घटना | दावेदार वाहन बीमाकर्ता के 'जारीकर्ता कार्यालय' पर अधिकार क्षेत्र रखने वाले न्यायाधिकरण से संपर्क कर सकता है: राजस्थान हाईकोर्ट

Update: 2024-09-13 09:08 GMT

राजस्थान हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि मोटर दुर्घटना के लिए मुआवज़ा मांगने वाला दावेदार, उस न्यायाधिकरण के पास जा सकता है, जिसका अधिकार क्षेत्र दुर्घटना के बीमाकर्ता के जारी करने वाले कार्यालय पर है।

जस्टिस अनिल कुमार उपमन की एकल पीठ ने मोटर वाहन अधिनियम की धारा 166(2) का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि मुआवज़े के लिए आवेदन या तो उस दावा न्यायाधिकरण के पास दायर किया जा सकता है, जिसका अधिकार क्षेत्र उस क्षेत्र पर है, जहां दुर्घटना हुई है; या उस दावा न्यायाधिकरण के पास, जिसके अधिकार क्षेत्र की स्थानीय सीमाओं के भीतर दावेदार रहता है या व्यवसाय करता है; या उस दावा न्यायाधिकरण के पास, जिसके अधिकार क्षेत्र की स्थानीय सीमाओं के भीतर "प्रतिवादी" रहता है।

इस मामले में, फरवरी 2020 में हनुमानगढ़ में एक ट्रैक्टर की चपेट में आने से तीन महिलाओं की मौत हो गई थी।

बीमा कंपनी (यहां याचिकाकर्ता) ने तर्क दिया कि हनुमानगढ़ दुर्घटना का स्थान और दावेदारों (यहां प्रतिवादियों) का निवास स्थान था, और कोलकाता वह स्थान था जहां बीमा कंपनी का मुख्यालय स्थित था। इसलिए, जयपुर में स्थित न्यायाधिकरण के पास प्रतिवादियों के दावों पर क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र नहीं था।

हालांकि, हाईकोर्ट ने दावा न्यायाधिकरण के आदेश को बरकरार रखा और कहा कि प्रावधान के तहत "प्रतिवादी निवास करता है" शब्द की व्याख्या "व्यापक रूप से" की जानी चाहिए ताकि बीमाकर्ता के व्यवसाय के स्थान को भी शामिल किया जा सके। कोर्ट ने पाया कि जिस बीमा पॉलिसी के तहत दावेदार मुआवजे का दावा कर रहे थे, उसका "सेवा/जारी करने वाला" कार्यालय वैशाली नगर, जयपुर में है। अदालत ने कहा कि इसे देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता कि दावेदारों ने दावे को आगे बढ़ाने के लिए जयपुर को "असंबंधित स्थान" के रूप में चुना है।

कोर्ट ने कहा,

"उपर्युक्त प्रावधान के शब्द बहुत स्पष्ट हैं कि दावा याचिका उस दावा न्यायाधिकरण के समक्ष दायर की जा सकती है, जिसका उस क्षेत्र पर अधिकार क्षेत्र है, जिसमें दुर्घटना हुई है; दावेदार निवास करते हैं या व्यवसाय करते हैं या प्रतिवादी निवास करता है। याचिकाकर्ता के वकील का तर्क कि बीमा कंपनी का पंजीकृत कार्यालय कोलकाता में है और न तो दुर्घटना जयपुर में हुई और न ही दावेदार और प्रतिवादी जयपुर में रहते हैं और इसलिए, MACT (मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण), जयपुर के पास दावे की सुनवाई करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है, बिल्कुल तुच्छ है। एम.वी. अधिनियम की धारा 166 (2) के तहत 'प्रतिवादी निवास करता है' वाक्यांश को एक व्यापक व्याख्या दी जानी चाहिए और यह बीमाकर्ता के व्यवसाय के स्थान को कवर करता है।"

हाईकोर्ट ने दलीलों की ओर इशारा करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता बीमा कंपनी के "पूरे देश में" कार्यालय हैं और कंपनी को अपने मामलों का बचाव करने में कोई परेशानी या कठिनाई नहीं होगी।

कोर्ट ने मालती सरदार बनाम नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और अन्य (जिस पर न्यायाधिकरण ने भी भरोसा किया था) पर भरोसा किया, जहां सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि "किसी न्यायाधिकरण के समक्ष दावा याचिका पेश करने पर कोई रोक नहीं होगी, जिसके अधिकार क्षेत्र में बीमा कंपनी का व्यवसाय स्थान है"।

हाईकोर्ट ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता कंपनी ने शुरू में क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र का सवाल नहीं उठाया, बल्कि मुकदमे के अंत में उठाया, जब उसने अधिकार क्षेत्र की कमी के आधार पर प्रतिवादियों की दावा याचिका को खारिज करने की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया।

इसके बाद न्यायालय ने कंपनी की याचिका खारिज कर दी।

केस टाइटल: मैग्मा जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम विनोद कुमार और अन्य।

साइटेशन: 2024 लाइवलॉ (राजस्थान) 252

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