खान एवं खनिज अधिनियम | यदि जब्ती कार्यवाही शुरू नहीं की जाती है तो वाहन को वर्तमान मूल्य के बराबर राशि का बांड प्रस्तुत करने पर छोड़ा जा सकता है: राजस्थान हाईकोर्ट

Update: 2024-08-08 09:59 GMT

राजस्थान हाईकोर्ट ने खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 (एमएमडीआर अधिनियम) के तहत जब्त किए गए वाहनों को छोड़ने के नियम निर्धारित किए हैं। न्यायालय ने कहा कि यदि अधिनियम के तहत जब्ती की कार्यवाही शुरू की जाती है, तो संबंधित वाहन को केवल जुर्माना राशि और समझौता शुल्क का भुगतान करने पर ही छोड़ा जा सकता है।

हालांकि, यदि ऐसी कोई कार्यवाही शुरू नहीं हुई है और खनन अधिकारी द्वारा पारित जुर्माना/समझौता आदेश के खिलाफ केवल अपील दायर की गई है, तो याचिकाकर्ता को वाहन को छोड़ने के लिए सक्षम न्यायालय से संपर्क करने की स्वतंत्रता दी जाएगी, जिसे याचिकाकर्ता द्वारा जब्त वाहन के वर्तमान मूल्य के बराबर राशि का बांड या बैंक गारंटी प्रस्तुत करने पर अनुमति दी जा सकती है।

जस्टिस अरुण मोंगा की पीठ एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसके ट्रैक्टर एमएमडीआर अधिनियम के तहत जब्त किए गए थे। जब इस आदेश को चुनौती दी गई, तो वाहनों को छोड़ने की अनुमति दी गई, लेकिन केवल खान/एनजीटी विभाग द्वारा लगाए गए जुर्माने/समझौता राशि के बराबर बैंक गारंटी प्रस्तुत करने पर। जब इस आदेश के खिलाफ पुनरीक्षण याचिका दायर की गई, तो उसे खारिज कर दिया गया। इसलिए, व्यक्ति ने दोनों आदेशों को चुनौती देते हुए न्यायालय के समक्ष वर्तमान याचिका दायर की।

न्यायाधीश ने इसी तरह के मुद्दे पर उनके द्वारा पारित एक पूर्व आदेश का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि, "यदि जब्ती की कार्यवाही शुरू हो गई है, तो किशोर सिंह में दिए गए अनुपात के अनुसार जुर्माना और समझौता शुल्क का भुगतान करने पर ही वाहन को छोड़ा जाएगा।

हालांकि, यदि यह पाया जाता है कि अभी तक कोई जब्ती कार्यवाही शुरू नहीं हुई है और यह खनन अधिकारी द्वारा पारित जुर्माना/समझौता आदेश के खिलाफ केवल एक अपील लंबित है, तो उस मामले में याचिकाकर्ता को सुपरदारी पर वाहन को छोड़ने के लिए एक नया आवेदन दायर करके सक्षम न्यायालय से संपर्क करने की स्वतंत्रता दी जाती है। ऐसा करने पर, जब्त वाहन के वर्तमान मूल्य के बराबर राशि की बैंक गारंटी प्रस्तुत करने पर इसे छोड़ दिया जाएगा।"

इस प्रकार न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ता के ट्रैक्टर लंबे समय से पुलिस हिरासत में खड़े थे और अगर उन्हें उसी स्थिति में छोड़ दिया जाता तो वे पूरी तरह से कबाड़ हो जाते।

इस आलोक में तथा उपरोक्त आदेश की पृष्ठभूमि में न्यायालय ने कहा कि यदि जब्ती की कार्यवाही शुरू की गई है, तो ट्रैक्टरों को केवल जुर्माना तथा समझौता शुल्क के भुगतान पर ही छोड़ा जाना चाहिए, लेकिन यदि ऐसा नहीं किया गया है, तो याचिकाकर्ता समान मूल्य का बांड या बैंक गारंटी प्रस्तुत करने के पश्चात वाहन को छोड़ने के लिए सक्षम न्यायालय में आवेदन कर सकता है।

केस टाइटलः संजीब बनाम राजस्थान राज्य एवं अन्य

साइटेशन: 2024 लाइव लॉ (राजस्थान) 198

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