फेयर प्राइस शॉप लाइसेंस विवाद: आदेश की प्रति देना अनिवार्य, आवेदक को विधिक उपचार का अधिकार : राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की कार्यशैली को गंभीर लापरवाही और अवैध करार देते हुए जिला आपूर्ति अधिकारी को निर्देश दिया कि वह उस आदेश की प्रति याचिकाकर्ता को एक सप्ताह के भीतर उपलब्ध कराएं, जिसके तहत फेयर प्राइस शॉप का लाइसेंस निजी प्रतिवादी को दिया गया।
जस्टिस मुनुरी लक्ष्मण की एकल पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को राजस्थान खाद्यान्न एवं अन्य आवश्यक वस्तुएं (वितरण का विनियमन) आदेश 1976 के तहत कानूनी उपाय लेने का अधिकार है और बिना उस आदेश की प्रति के, वह ऐसा करने में असमर्थ है।
मामले में याचिकाकर्ता ने फेयर प्राइस शॉप लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। चयन समिति ने याचिकाकर्ता के पक्ष में सिफारिश की थी। इसके बावजूद, जिला आपूर्ति अधिकारी ने समिति की सिफारिशों की अवहेलना करते हुए लाइसेंस निजी प्रतिवादी को जारी कर दिया।
याचिकाकर्ता ने उस आदेश की प्रति मांगने के लिए प्रस्ताव फिर सूचना का अधिकार (RTI) के तहत आवेदन भी किया, लेकिन प्रति नहीं दी गई, जिसके बाद यह याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की,
"यह प्रतिवादियों की ओर से गंभीर लापरवाही और अवैध कार्यवाही है कि उन्होंने उस आदेश की प्रति याचिकाकर्ता को नहीं दी, जिसके तहत लाइसेंस निजी प्रतिवादी के पक्ष में जारी किया गया। बिना उस आदेश के याचिकाकर्ता वैधानिक उपाय नहीं कर सकता।"
इसी के तहत कोर्ट ने जिला आपूर्ति अधिकारी को निर्देश दिया कि एक सप्ताह के भीतर आदेश की प्रति याचिकाकर्ता को सौंपी जाए।
केस टाइटल: भोमाराम व अन्य बनाम राजस्थान राज्य व अन्य