अनुदान प्राप्त स्कूलों के कर्मचारी राज्य सरकार से सीधे अनुदान प्राप्त कर सकते हैं: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट की जस्टिस सुदेश बंसल की एकल पीठ ने माना कि अनुदान सहायता राज्य सरकार द्वारा सीधे ही स्वीकृत की जा सकती है तथा सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं के कर्मचारियों को भुगतान की जा सकती है।
मामले में फैसला देते हुए राजस्थान राज्य एवं अन्य बनाम श्री भगवान दास टोडी महाविद्यालय की प्रबंध समिति के मामले पर न्यायालय ने भरोसा किया, जिसमें खंडपीठ ने माना कि अनुदान सहायता राज्य सरकार द्वारा सीधे ही स्वीकृत की जा सकती है और सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं के कर्मचारियों को भुगतान की जा सकती है, जो कि अधिनियम 1989 की धारा 31(2) के आलोक में है।
न्यायालय ने माना कि कर्मचारी 80% के अनुपात में सीधे राज्य सरकार से अपनी बकाया राशि वसूलने का हकदार है। न्यायालय ने आगे कहा कि बकाया राशि के 20% के लिए, विलंबित भुगतान पर ब्याज केवल संस्थान द्वारा वहन किया जाना था।
इसके अलावा न्यायालय ने यह भी माना कि कर्मचारी की शेष 80% बकाया राशि पर ब्याज का भुगतान करने की देयता के संबंध में, यह इस बात पर निर्भर करता है कि कर्मचारी के संबंध में देय आहरित विवरण वर्ष 2016-17 में संस्थान द्वारा तैयार कर राज्य सरकार को भेजा गया था या नहीं। इसलिए यह निर्णय निष्पादन न्यायालय द्वारा इस पहलू पर विचार करने के बाद लिया जाना चाहिए कि देरी के लिए कौन जिम्मेदार था।
न्यायालय ने यह भी माना कि कर्मचारी को देय ग्रेच्युटी का भुगतान करने की देयता संस्थान की है। कर्मचारी राजस्थान गैर-सरकारी शैक्षणिक संस्थान (मान्यता, सहायता अनुदान और सेवा शर्तें आदि) नियम, 1993 के नियम 80 के अनुसार ग्रेच्युटी का हकदार था, जो संस्थान से ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 के तहत स्वीकार्य है।
चूंकि ग्रेच्युटी "स्वीकृत व्यय" के अंतर्गत नहीं आती है, इसलिए राज्य सरकार ग्रेच्युटी की राशि के लिए सहायता अनुदान प्रदान करने के लिए उत्तरदायी नहीं थी। इसलिए न्यायाधिकरण द्वारा पारित निर्णय की न्यायालय द्वारा पुष्टि की गई। उपरोक्त टिप्पणियों के साथ, रिट याचिका का निपटारा किया गया।
केस नंबर: एसबी सिविल रिट पीटिशन नंबर 10864/2024