राजस्थान हाईकोर्ट ने लगभग 7 वर्ष की देरी से दम्पति को इंटरकास्ट विवाह सहायता योजना के लिए आवेदन में गलतियां ठीक करने की अनुमति दी

Update: 2024-12-19 07:51 GMT

राजस्थान हाईकोर्ट में जस्टिस अनूप कुमार ढांड की पीठ ने एक इंटरकास्ट विवाहित दम्पति को राहत प्रदान की, जिसका डॉ. सविता बेन अंबेडकर इंटरकास्ट विवाह सहायता योजना के तहत दावा एक महीने की अवधि के भीतर आवेदन में गलतियों ठीक न करने के कारण खारिज कर दिया गया था।

यह योजना राजस्थान सरकार द्वारा हिंदू और अनुसूचित जाति के लड़के-लड़कियों के बीच विवाह को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई। योजना के अनुसार 35 वर्ष की आयु तक के ऐसे इंटरकास्ट दम्पति 5 लाख रुपये पाने के हकदार थे। आधी राशि विवाह के रजिस्ट्रेशन के एक वर्ष के भीतर घरेलू सामान खरीदने के लिए दी जानी थी। शेष राशि दम्पति के संयुक्त खाते में सावधि जमा के रूप में रखी जानी थी जिसका दावा विवाह के 8 वर्ष बाद ही किया जा सकता था।

याचिकाकर्ता एक अंतरजातीय दंपत्ति थे, जिन्होंने जनवरी 2018 में इस योजना के तहत अपना आवेदन प्रस्तुत किया, जिसे कथित तौर पर बिना किसी सूचना के स्वतः ही खारिज किया गया। जब जुलाई 2023 में दंपत्ति द्वारा एक RTI दायर की गई तो उन्हें अस्वीकृति के बारे में पता चला, जिसके बाद आवेदन में दोषों को ठीक करने की अनुमति मांगने के लिए अधिकारियों को एक कानूनी नोटिस भेजा गया।

अधिकारियों ने इस आधार पर ऐसी अनुमति देने से इनकार किया कि चूंकि याचिकाकर्ताओं द्वारा एक महीने की अवधि के भीतर दोषों को ठीक नहीं किया गया, इसलिए आवेदन स्वतः ही खारिज हो गया।

याचिकाकर्ताओं का मामला यह था कि उन्हें उपरोक्त प्रक्रिया और एक महीने के भीतर आवेदन में दोषों को ठीक करने की आवश्यकता के बारे में पता नहीं था। इसलिए उन्होंने निर्धारित समय अवधि के भीतर ऐसा नहीं किया।

दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं को अधिकारियों द्वारा बताए गए सभी दोषों को दूर करने के बाद निर्धारित प्रारूप में विस्तृत आवेदन दाखिल करने की स्वतंत्रता दी।

इसके अलावा यह देखा गया कि यदि याचिकाकर्ताओं द्वारा एक महीने के भीतर ऐसा आवेदन प्रस्तुत किया जाता है तो अधिकारियों से अपेक्षा की जाती है कि वे 3 महीने की अवधि के भीतर एक तर्कपूर्ण आदेश पारित करके उस पर निर्णय लें और यदि याचिकाकर्ता योजना के तहत पात्र पाए जाते हैं तो उन्हें लाभ प्रदान किया जाएगा।

तदनुसार याचिका का निपटारा किया गया।

केस टाइटल: महेश कुमार यादव और अन्य बनाम राजस्थान राज्य और अन्य।

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