CPC NDPS Act का अनुपालन न करने पर अंतर्राष्ट्रीय ड्रग तस्करी मामलों में जमानत के चरण में बहस नहीं की जा सकती: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने पाकिस्तान से ड्रग्स की तस्करी के प्रयास में कथित रूप से शामिल होने के आरोप में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (NDPS Act) के तहत दर्ज व्यक्ति को जमानत देने से इनकार किया।
न्यायालय ने माना कि NDPS Act या CPC के तहत प्रावधानों का अनुपालन न करने पर अंतर्राष्ट्रीय तस्करी के मामले में जमानत के चरण में बहस नहीं की जा सकती।
न्यायालय ने आगे कहा,
"रिकॉर्ड के अवलोकन से प्रथम दृष्टया यह पता चला है कि NDPS Act और CrPc के विभिन्न प्रावधानों के कथित गैर-अनुपालन के बारे में याचिकाकर्ता द्वारा तर्क दिए जाने वाले मुद्दों को इस स्तर पर प्रतिबंधित दवा की अंतरराष्ट्रीय तस्करी के ऐसे मामले में समर्थन नहीं दिया जा सकता।"
जस्टिस राजेंद्र प्रकाश सोनी की पीठ आरोपी द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। मामले के तथ्य यह थे कि सीमा सुरक्षा बल (BSF) को अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्र में पाकिस्तान से संभावित संदिग्ध गतिविधि के बारे में सूचना मिली थी, जिसके अनुसरण में सतर्कता के लिए अभियान चलाया गया। यह कहा गया कि आधी रात को जंगली पौधों की आड़ में कुछ संदिग्ध गतिविधि देखी गई और कुछ गिरने की आवाज सुनाई दी।
इलाके की तलाशी लेने पर पांच पैकेट बरामद किए गए, जिनकी जांच करने पर पाया गया कि वे प्रतिबंधित हैं। यह भी कहा गया कि लगभग उसी समय दो भारतीय नागरिकों को लेकर कार अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास पहुंची, जो BSF के जवानों को देखकर पीछे मुड़ गई और भाग गई। बाद में इन दो भारतीय नागरिकों को गिरफ्तार कर लिया गया और पाया गया कि वे ड्रग्स की डिलीवरी लेने आए थे।
आवेदक के वकील का कहना था कि BSF अधिकारी द्वारा घटना की रिपोर्ट दर्ज करने में अस्पष्ट देरी की गई। इसके अलावा अभियोजन पक्ष लंबे समय तक सभी महत्वपूर्ण गवाहों को पेश करने में सक्षम नहीं था, जिससे मुकदमे में देरी हुई। वसूली कार्यवाही में कई कानूनी कमियों का तर्क देते हुए वकील ने तर्क दिया कि आवेदक को जमानत दी जानी चाहिए।
आवेदक के वकील की दलीलों को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता के लिए आधी रात के दौरान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर मौजूद होने का कोई वैध कारण नहीं था। वह भी उसी समय जब पाकिस्तान की तरफ से ड्रग्स के पैकेट गिराए गए। आवेदक के खिलाफ लंबित एक अन्य NDPS मुकदमे पर प्रकाश डालते हुए अदालत ने कहा कि आवेदक को इन आरोपों से जोड़ने के लिए रिकॉर्ड पर पर्याप्त सामग्री है।
न्यायालय ने आगे कहा कि NDPS और CPC के प्रावधानों का पालन न करने के बारे में वकील द्वारा उठाए गए मुद्दों पर नशीली दवाओं की अंतरराष्ट्रीय तस्करी के मामले में जमानत के चरण में विचार नहीं किया जा सकता। न्यायालय ने कहा कि ऐसे मुद्दों को केवल परीक्षण के दौरान ही स्पष्ट किया जा सकता है।
इसके अलावा न्यायालय ने अंतरराष्ट्रीय नशीली दवाओं की तस्करी के बढ़ते खतरे पर नाराजगी जताई और कहा,
“इस न्यायालय की राय है कि अंतरराष्ट्रीय नशीली दवाओं की तस्करी वैश्विक खतरा है, जो व्यक्तियों, समुदायों और राष्ट्रों को अपूरणीय क्षति पहुंचाती है। अंतर्राष्ट्रीय नशीली दवाओं की तस्करी आज दुनिया में सबसे व्यापक और विनाशकारी आपराधिक उद्यमों में से एक है। यह अवैध व्यापार हिंसा को बढ़ावा देता है और सरकारों को अस्थिर करता है। नशीली दवाओं के व्यापार से होने वाला भारी मुनाफा कानून के शासन को कमजोर करता है, क्योंकि आपराधिक संगठन वैध अधिकारियों के मुकाबले शक्ति और प्रभाव का इस्तेमाल करते हैं।”
उपर्युक्त विश्लेषण के आलोक में जमानत आवेदन खारिज कर दिया गया।