दिव्यांगता अधिनियम के तहत आयुक्त किसी भी कर्मचारी के रिटायरमेंट पर रोक नहीं लगा सकते: राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया

Update: 2024-06-18 05:47 GMT

राजस्थान हाईकोर्ट में जस्टिस समीर जैन की पीठ ने दोहराया है कि दिव्यांग व्यक्ति (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 (Disabilities Act) के तहत आयुक्त को किसी कर्मचारी की सेवानिवृत्ति पर रोक लगाने के लिए अंतरिम निर्देश पारित करने का अधिकार नहीं है।

न्यायालय राजस्थान लोक सेवा आयुक्त द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें दिव्यांगता अधिनियम के तहत आयुक्त द्वारा पारित आदेश इस आधार पर रद्द करने का निर्देश देने की मांग की गई कि आयुक्त के पास ऐसे आदेश पारित करने का कोई अधिकार नहीं है।

याचिकाकर्ताओं के वकील ने तर्क दिया कि वर्तमान मामले के तथ्य राजस्थान हाईकोर्ट के राजस्थान लोक सेवा आयोग बनाम राम निवास गौड़ और सुप्रीम कोर्ट के स्टेट बैंक ऑफ पटियाला एवं अन्य बनाम विनेश कुमार भसीन के मामले के समान हैं।

बाद के मामले में, प्रतिवादी बैंक में कार्यरत दिव्यांग व्यक्ति है, जो बैंक के सेवा नियमों के अनुसार 30 वर्ष की सेवा पूरी करने के कारण रिटायर हो रहा है। वह बैंक द्वारा तैयार की गई एक्जिट ऑप्शन स्कीम के तहत रिटायर होना चाहता है। हालांकि, कुछ वैध कारणों से उसका अनुरोध स्वीकार नहीं किया गया। इसके अनुसार, कर्मचारी ने दिव्यांग व्यक्तियों के लिए मुख्य आयुक्त के समक्ष शिकायत दर्ज कराई, जिसमें तर्क दिया गया कि योजना के तहत रिटायरमेंट के उसके अनुरोध को स्वीकार न करके बैंक ने उसकी दिव्यांगता के कारण उसके साथ भेदभाव किया।

बैंक को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया और आयुक्त द्वारा जारी अंतरिम निर्देशों के माध्यम से कर्मचारी की रिटायरमेंट पर रोक लगा दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने इन अंतरिम निर्देशों को खारिज किया और कहा कि कर्मचारी की शिकायत का उसके दिव्यांग होने से कोई संबंध नहीं है। आयुक्त ने इस तथ्य की अनदेखी की कि रिटायरमेंट सेवा पूरी होने पर हुई और कर्मचारी को सभी देय सेवानिवृत्ति लाभ दिए गए।

आगे कहा गया,

“जब कोई कर्मचारी नियमों के अनुसार रिटायर होता है तो उसे रिटायरमेंट की आयु से आगे सेवा में बनाए रखने के लिए कोई अंतरिम आदेश जारी नहीं किया जा सकता है। मुख्य आयुक्त ने इस तथ्य की भी अनदेखी की और उसे नजरअंदाज कर दिया कि दिव्यांगता अधिनियम के तहत कार्यरत प्राधिकरण के रूप में उसके पास नियोक्ता को किसी कर्मचारी को रिटायर न करने का निर्देश जारी करने की कोई शक्ति या अधिकार क्षेत्र नहीं है। वास्तव में दिव्यांगता अधिनियम की योजना के तहत मुख्य आयुक्त (या आयुक्त) के पास कोई अंतरिम निर्देश देने का कोई अधिकार नहीं है।

न्यायालय ने वर्तमान मामले के तथ्यों के साथ-साथ याचिकाकर्ता के वकील द्वारा संदर्भित मामलों को भी ध्यान में रखा, जो तथ्यों के समान प्रकृति के पाए गए। तदनुसार, इन मामलों पर भरोसा करते हुए न्यायालय ने आयुक्त का आदेश रद्द किया और याचिका को अनुमति दी गई।

केस टाइटल: राजस्थान लोक सेवा आयोग बनाम आयुक्त- दिव्यांग व्यक्ति, राजस्थान सरकार और अन्य।

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