ट्रायल कोर्ट द्वारा जमानत आदेश में अभियुक्त की गिरफ्तारी की तारीख का उल्लेख न करना महत्वपूर्ण चूक: राजस्थान हाईकोर्ट

Update: 2024-09-23 05:52 GMT

राजस्थान हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा अभियुक्त की जमानत याचिकाओं पर निर्णय करते समय उनकी गिरफ्तारी की तारीख का उल्लेख न करने की सामान्य रूप से देखी जाने वाली प्रथा की आलोचना की।

इस मामले में जस्टिस राजेंद्र प्रकाश सोनी की पीठ NDPS मामले में याचिकाकर्ताओं की जमानत खारिज करने वाले आदेश पर विचार कर रही थी, जिसमें उनकी गिरफ्तारी की तारीख का उल्लेख न करने के लिए इसे कारणात्मक तरीके से पारित किया गया।

कहा गया,

“आरोपी की गिरफ़्तारी की तारीख़ ज़मानत आदेश का अभिन्न और महत्वपूर्ण हिस्सा है लेकिन पीठासीन अधिकारी ने ज़मानत खारिज़ करने वाले आदेश में इसका उल्लेख करना उचित नहीं समझा। यह चूक महत्वपूर्ण चूक है।”

याचिकाकर्ताओं पर NDPS Act के तहत आरोप लगाया गया। उन्हें गिरफ़्तार किया गया, क्योंकि उनके पास 7 ग्राम प्रतिबंधित स्मैक और 7 किलोग्राम प्रतिबंधित पोस्ता पुआल पाया गया था। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि चूंकि बरामद की गई मात्रा कमर्शियल मात्रा से कम थी, इसलिए याचिकाकर्ताओं को ज़मानत पर रिहा किया जाना चाहिए।

याचिकाकर्ताओं के वकील द्वारा प्रस्तुत तर्क से सहमत होते हुए न्यायालय ने जमानत याचिकाओं को स्वीकार करने और याचिकाकर्ताओं को जमानत देने का फैसला किया और याचिकाकर्ताओं की गिरफ्तारी की तारीख का उल्लेख न करने के मामले में ट्रायल कोर्ट की ओर से महत्वपूर्ण चूक देखी।

न्यायालय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि याचिकाकर्ताओं की गिरफ्तारी की तारीख पर विचार करना महत्वपूर्ण पहलू था, जो अधूरा रह गया। इस तरह की चूक के परिणामस्वरूप जमानत अस्वीकृति के आदेश में अपेक्षित न्यायिक कठोरता और गहराई का अभाव था और यह स्वीकार्य मानकों से कम था।

यह भी माना गया कि यह मुद्दा केवल वर्तमान मामले तक सीमित नहीं था, बल्कि न्यायालय के सामने आने वाले बड़ी संख्या में मामलों में देखा गया।

तदनुसार, न्यायालय ने रजिस्ट्रार को निर्देश दिया कि यदि उचित समझा जाए तो इस संबंध में अपेक्षित सर्कुलर जारी करने के लिए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के समक्ष आदेश प्रस्तुत करें।

केस टाइटल- कमल किशोर बनाम राजस्थान राज्य एवं अन्य याचिका

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