UAPA| पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने क्रॉस-बॉर्डर सिंडिकेट से जुड़े टेरर फंडिंग केस में ज़मानत याचिका खारिज की
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने आरोपियों की दो अपीलें खारिज की, जिनमें उन्होंने अपनी दूसरी ज़मानत अर्ज़ी खारिज होने को चुनौती दी थी। यह मामला एक बड़े नार्को-टेरर केस का है, जिसमें हेरोइन, हथियार, विस्फोटकों की क्रॉस-बॉर्डर तस्करी और पाकिस्तान के हैंडलर्स से जुड़ी कथित टेरर-फंडिंग शामिल है, जिसमें आतंकवादी लखबीर सिंह रोडे भी शामिल है।
जस्टिस गुरविंदर सिंह गिल और जस्टिस रमेश कुमारी की बेंच ने कहा,
"इस केस के फैक्ट्स से पता चलता है कि बॉर्डर पार से तस्करी किए गए नशीले पदार्थों की बिक्री से मिले पैसे का इस्तेमाल टेरर फंडिंग के लिए किया जाता है। आरोपी-अपील करने वाले अपने आकाओं के कहने पर भारत में टेरर फंडिंग के लिए एक्टिव रूप से शामिल हैं, जो बॉर्डर पार यानी पाकिस्तान से काम कर रहे हैं। हथियार और गोला-बारूद, करेंसी नोट और नशीले पदार्थ यानी हेरोइन की खेप बॉर्डर पार से पहुंचाई जाती है।"
कोर्ट ने आगे बताया कि आरोपी हरमेश सिंह @ हरमेश @ काली, दरवेश सिंह और गुरमेज सिंह कथित तौर पर नारकोटिक पैकेज को कंसाइनमेंट से अलग करते थे, हथियार और गोला-बारूद, विस्फोटक वगैरह की फोटो खींचते थे। इसे WhatsApp और दूसरे एप्लीकेशन के ज़रिए सह-आरोपी लखबीर सिंह रोडे @ बाबा के साथ शेयर करते थे और फोटो खींचने के बाद कंसाइनमेंट को या तो फसल के खेतों में या दरवेश सिंह के घर में छिपा दिया जाता था और पहले से तय जगहों पर कंसाइनमेंट छिपाने के बाद, फोटो खींची जाती थीं और सह-आरोपी लखबीर सिंह रोडे के साथ शेयर की जाती थीं, जो इसके बारे में अपीलेंट गुरमुख सिंह, नॉन-अपीलेंट गगनदीप सिंह को जानकारी देता था।
इसमें आगे कहा गया,
"इन कंसाइनमेंट में से दो पिस्टल, दो टिफिन बम, एक रबर ट्यूब, चार ग्रेनेड, 4 मैगज़ीन, दो डेटोनेटर बॉक्स और 3 लाख रुपये के टेरर फंड को अपील करने वाले गुरमुख सिंह और नॉन-अपील करने वाले गगनदीप सिंह ने उठाया था। साथ ही टेरर एक्टिविटी को आसान बनाने के लिए अलग-अलग जगहों पर छिपा दिया था।"
बेंच ने यह नतीजा निकाला कि इससे पहली नज़र में यह नतीजा निकलता है कि दोनों अपील करने वाले एंटी-नेशनल एलिमेंट का हिस्सा हैं जो नार्को-टेररिज्म में शामिल हैं, जो एंटी-नेशनल एक्टिविटी का एक और पहलू दिखाता है, जिसमें नारकोटिक और टेररिज्म के बीच एक नेक्सस है। चूंकि टेररिज्म को स्पॉन्सर करना महंगा मामला है और हथियारों और गोला-बारूद के साथ टेररिस्ट एक्टिविटी को फंड करने के लिए देश के बॉर्डर पार से हेरोइन की स्मगलिंग की जाती है और टेरर फंड के तौर पर 8 लाख रुपये अपील करने वाले गुरमेज सिंह ने सरपंच सरज सिंह के कर्मचारी को ट्रांसफर किए।
यह मामला 2021 में पुलिस स्टेशन ममदोट में दर्ज FIR से जुड़ा है, जिसे बाद में NIA ने अपने हाथ में ले लिया। इसमें IPC, Arms Act, NDPS Act, अनलॉफुल एक्टिविटीज़ (प्रिवेंशन) एक्ट (UAPA), और एक्सप्लोसिव सब्सटेंस एक्ट के तहत अपराध शामिल हैं।
प्रॉसिक्यूशन के अनुसार, गुरमेज सिंह को कथित तौर पर हरमेश सिंह @ काली के कहने पर सह-आरोपी दरवेश सिंह @ शिंदा से टेरर फंड में ₹8 लाख मिले।
कथित तौर पर यह फंड पाकिस्तान से तस्करी किए गए नशीले पदार्थों की बिक्री से आया, जिसे पाकिस्तान में बैठे लखबीर सिंह रोडे और उसके साथियों ने चलाया और गुरमेज ने कथित तौर पर पैसे छिपाए और बाद में इसे सरज सिंह @ सरपंच के एक साथी को दे दिया।
NIA ने कहा कि गुरमेज पाकिस्तान में बैठे हैंडलर मनसा संधू के संपर्क में था, प्रॉक्सी SIM कार्ड का इस्तेमाल करता था और हथियारों और भिंडरावाले की तस्वीरों सहित आपत्तिजनक कंटेंट स्टोर करता था। गुरमुख सिंह को ग्रेनेड, टिफिन बम, डेटोनेटर, हथियार, गोला-बारूद, विस्फोटक, नारकोटिक्स, कैश, नकली पासपोर्ट और दूसरी चीज़ों की बड़ी ज़ब्ती से जुड़ी एक FIR में गिरफ्तार किया गया।
कहा जाता है कि वह लखबीर सिंह रोडे के सीधे कोऑर्डिनेट किए गए अलग ग्रुप में काम करता था और पाकिस्तान बॉर्डर पर ड्रोन से स्मगलिंग के ज़रिए गिराए गए कंसाइनमेंट लेने वाले नेटवर्क का हिस्सा था।
दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने इस बात को दोहराया कि अगर चार्जशीट और CrPC की धारा 173 के तहत चीज़ों को देखने के बाद कोर्ट को यह मानने के लिए सही आधार मिलते हैं कि आरोप पहली नज़र में सच हैं तो ज़मानत नहीं दी जा सकती।
कोर्ट ने गुरविंदर सिंह बनाम पंजाब राज्य (2024) 5 SCC 403 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा किया, जिसमें तथ्यों के आधार पर के.ए. नजीब के पहले के फैसले में अंतर बताया गया।
चार्जशीट, डिजिटल सबूत, रिकवरी और हर अपील करने वाले की भूमिका का एनालिसिस करने के बाद कोर्ट ने माना कि दोनों अपील करने वाले पहली नज़र में एक क्रॉस-बॉर्डर नार्को-टेरर नेटवर्क का हिस्सा हैं, जिसमें हेरोइन, एक्सप्लोसिव, हथियारों की स्मगलिंग और टेरर फंडिंग शामिल है।
मटेरियल से पाकिस्तान-बेस्ड हैंडलर्स के साथ करीबी लिंक और पंजाब में मिलिटेंसी को फिर से शुरू करने और शांति भंग करने की एक कोऑर्डिनेटेड साज़िश का पता चलता है। इसने बताया कि बड़ी रिकवरी और एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म पर कम्युनिकेशन ने प्रॉसिक्यूशन केस को सपोर्ट किया।
यह कहते हुए कि अगर बेल मिल जाती है तो उनके फरार होने की संभावना है, उनके कथित विदेशी लिंक को देखते हुए कोर्ट ने कहा कि UAPA की धारा 43D(5) के तहत कानूनी रोक पूरी तरह से लागू होती है।
यह देखते हुए कि, "रेस्पोंडेंट-NIA द्वारा रिकॉर्ड पर लाए गए फैक्ट्स पहली नज़र में अपील करने वालों के टेररिस्ट एक्टिविटीज़ में शामिल होने को साबित करते हैं। ट्रायल चल रहा है। चूंकि उनके बॉर्डर पार के लोगों से लिंक हैं, जो उनकी एक्टिविटीज़ को फंड करते हैं, इसलिए उनके ट्रायल से फरार होने की भी संभावना है।"
जल्दी निपटारा पक्का करने के लिए कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि वह गवाहों की जांच के लिए एक शेड्यूल बनाए, स्पेशल मैसेंजर भेजे और संबंधित SSP के ज़रिए गवाहों की मौजूदगी पक्की करे। प्रॉसिक्यूशन और डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी को यह पक्का करना होगा कि सभी PWs तय तारीखों पर समय पर मौजूद रहें।
Title: GURMEJ SINGH v. UNION OF INDIA AND ANOTHER