बेअदबी मामलों की CBI जांच की मांग वाली राम रहीम की याचिका पर बड़ी पीठ करेगी सुनवाई

Update: 2024-03-12 05:56 GMT

पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय ने सोमवार को डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की 2015 के बेअदबी मामले की CBI जांच की मांग वाली याचिका को बड़ी पीठ के पास भेज दिया।

जस्टिस विनोद एस. भारद्वाज ने यह निर्धारित करने के लिए कि क्या राज्य सरकार द्वारा CBI जांच के लिए दी गई सहमति बाद में वापस ली जा सकती, याचिका को बड़ी पीठ के पास भेजते हुए आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी। प्रश्नों सहित विस्तृत आदेश की प्रतीक्षा है।

2021 में राम रहीम ने पंजाब में जून से अक्टूबर 2015 के बीच श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की तीन अलग-अलग घटनाओं की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए हाईकोर्ट का रुख किया, जिसमें उन्हें पंजाब सरकार द्वारा गठित एसआईटी द्वारा आरोपी के रूप में सूचीबद्ध किया गया।

डेरा प्रमुख ने पंजाब सरकार की उस अधिसूचना को चुनौती दी, जिसमें उसने जांच को CBI को सौंपने की अपनी सहमति वापस ले ली। याचिका में बेअदबी मामलों में जांच जारी रखने के लिए CBI को निर्देश देने की भी मांग की गई।

मामले की पृष्ठभूमि

विवाद के केंद्र में पंजाब राज्य में अपमान की घटनाओं की श्रृंखला है, जो जून 2015 में फरीदकोट के बुर्ज जवाहर सिंह वाला गांव में गुरुद्वारे से गुरु ग्रंथ साहिब की प्रति की चोरी के साथ शुरू हुई थी। इसके बाद सितंबर में फरीदकोट के जवाहर सिंह वाला और बरगारी गांवों में पवित्र पुस्तक के खिलाफ हस्तलिखित अपवित्र पोस्टर लगाए गए। उसी वर्ष अक्टूबर में बरगारी में गुरुद्वारे के पास पवित्र पुस्तक के कई फटे हुए अंग (पन्ने) बिखरे हुए पाए गए।

इसके परिणामस्वरूप पंजाब राज्य में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। राज्य पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर खुली गोलीबारी की, जिसके परिणामस्वरूप दो आंदोलनकारियों की मौत हो गई, जिसके परिणामस्वरूप सामाजिक और राजनीतिक अशांति फैल गई।

गुरु ग्रंथ साहिब की प्रति की चोरी और अपमान से संबंधित तीन परस्पर जुड़े मामलों में कुल 12 लोगों को नामित किया गया। शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी की पिछली गठबंधन सरकार द्वारा नवंबर में जांच CBI को सौंपी गई थी।

जून, 2019 में CBI ने क्लोजर रिपोर्ट दायर की, जिसमें कहा गया कि डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों के खिलाफ कोई आपत्तिजनक सबूत नहीं मिला, लेकिन सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी शिरोमणि अकाली दल दोनों ने रिपोर्ट को खारिज कर दिया। कुछ ही महीनों के भीतर पंजाब सरकार ने CBI को जांच की अनुमति देने वाली सहमति वापस ले ली और मामले राज्य पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) को सौंप दिए गए।

आरोप तय करने पर बहस के चरण में तीनों मामलों की सुनवाई फरीदकोट अदालत में लंबित है। CBI जांच के नतीजों से पूरी तरह अलग हटकर एसआईटी ने बेअदबी मामलों में कई डेरा अनुयायियों, तीन राष्ट्रीय समिति के सदस्यों और डेरा प्रमुख राम रहीम को आरोपी के रूप में नामित किया। पंजाब पुलिस ने विवादास्पद स्वयंभू बाबा गुरमीत राम रहीम सिंह को मुख्य साजिशकर्ता के रूप में नामित किया।

2023 में सुप्रीम कोर्ट ने बेअदबी मामले में राम रहीम और सात अन्य आरोपियों के खिलाफ मुकदमा पंजाब के फरीदकोट से चंडीगढ़ स्थानांतरित करने का निर्देश दिया।

केस टाइटल: संत गुरुमीत राम रहीम बनाम पंजाब राज्य एवं अन्य।

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