पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने 500 किलोग्राम हेरोइन तस्करी मामले में जमानत रद्द करने की NIA की याचिका स्वीकार की
पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने पाकिस्तान से 500 किलोग्राम हेरोइन की तस्करी से जुड़े मामले में आरोपी व्यक्ति की जमानत रद्द की। कोर्ट ने जमानत रद्द करते हुए कहा कि हवाला चैनलों को जानने के लिए उससे हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता होगी।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने अवैध हथियारों और हेरोइन, भारी मात्रा में प्रतिबंधित सामग्री की तस्करी सहित कई मामलों में आरोपी अंकुश विपन कपूर की जमानत रद्द करने की मांग करते हुए हाइकोर्ट का रुख किया। उस पर नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 (NDPS Act) की धारा 21, 25, 27-ए, 29, 85 और 2020 में आर्म्स एक्ट (Arms Act) की धारा 30, 53, 59 के तहत मामला दर्ज किया गया। उसे 2021 नियमित जमानत दी गई।
वह पाकिस्तान से गुजरात तक 500 किलोग्राम हेरोइन की तस्करी से जुड़े मामले में भी आरोपी थे। मामले की गंभीरता को देखते हुए गुजरात सरकार ने केस को NIA को ट्रांसफर किया था। NIA ने उसके खिलाफ UAPA की धारा 17 और 18 जोड़ी थी।
जस्टिस मंजरी नेहरू कौल ने कहा,
"यह अब कोई रहस्य नहीं है और यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि नशीली दवाओं का खतरा दीमक की तरह फैल गया है और धीरे-धीरे अपना जाल फैला रहा है। इस नशीली दवाओं के खतरे की खतरनाक वृद्धि से प्रभावी ढंग से निपटना होगा। इन दवाओं और मनोदैहिक पदार्थों के स्रोत को लक्षित करके आपूर्ति श्रृंखला को बाधित करने की आवश्यकता है।"
अदालत ने कहा,
"मौजूदा मामले में प्रतिवादी से हिरासत में पूछताछ जरूरी होगी, जिससे याचिकाकर्ता जड़ तक जा सके और स्रोत की पहचान कर सके कि दवाएं कहां से आ रही हैं, साथ ही हवाला चैनल भी।"
जस्टिस कौल ने कहा कि मौजूदा मामले में सीमा पार नार्को-आतंकवाद के गंभीर आरोप हैं, जिसमें सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध तरीके से गुजरात और फिर पंजाब के माध्यम से भारत में तस्करी की जा रही 500 किलोग्राम हेरोइन की भारी बरामदगी शामिल है।
प्रदीप राम बनाम झारखंड राज्य पर भरोसा रखा गया, जिसमें यह माना गया, "
जहां एक आरोपी को जमानत देने के बाद आगे संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध जोड़े जाते हैं:-
(i) आरोपी आत्मसमर्पण कर सकता है और नए जोड़े गए संज्ञेय और गैर-जमानती अपराधों के लिए जमानत के लिए आवेदन कर सकता है। जमानत से इनकार करने की स्थिति में आरोपी को निश्चित रूप से गिरफ्तार किया जा सकता है।
(ii) जांच एजेंसी सीआरपीसी की धारा 437(5) या 439(2) के तहत आरोपी की गिरफ्तारी और उसकी हिरासत के लिए अदालत से आदेश मांग सकती है।"
अदालत ने आरोपी के वकील की इस दलील को खारिज कर दिया कि झूठे दावों के अलावा ऐसी कोई सामग्री नहीं है, जो उसे गुजरात में हेरोइन की भारी बरामदगी या कथित तौर पर चल रहे ड्रग कार्टेल से दूर-दूर तक जोड़ती हो।
जस्टिस कौल ने कहा कि आरोपों की प्रकृति और गंभीरता के साथ-साथ इसमें शामिल जोखिमों को देखते हुए,
"यह अदालत प्रतिवादी द्वारा कानून की प्रक्रिया से बचने की संभावना के बारे में याचिकाकर्ता के वकील द्वारा की गई दलीलों से सहमत है।"
न्यायालय ने माना कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में जांच को "तार्किक निष्कर्ष पर ले जाना होगा, जिसके लिए भारत से बाहर स्थित प्रतिवादी से पूछताछ की जाएगी, जिस पर पंजाब में ड्रग सिंडिकेट का संचालन करने का आरोप है।
उपरोक्त के आलोक में याचिका स्वीकार कर ली गई। परिणामस्वरूप अदालत ने आरोपी की जमानत रद्द कर दी।
साइटेशन- लाइव लॉ (पीएच) 36 2024
अपीयरेंस
याचिकाकर्ता के लिए वकील- सुखदीप सिंह संधू
प्रतिवादी के वकील- विपुल जिंदल
केस टाइटल- राष्ट्रीय जांच एजेंसी बनाम अंकुश विपन कपूर