NDPS | क्या संपूर्ण केस प्रॉपर्टी को FSL में भेजने की आवश्यकता है या क्या टैबलेट की प्रत्येक पट्टी से सैंपल परीक्षण के लिए भेजा जा सकता है? पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने समझाया

Update: 2024-09-21 06:41 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक संदर्भ प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि NDPS एक्ट के तहत जब्त की गई प्रतिबंधित टैबलेट के पूरे थोक को भेजने की आवश्यकता नहीं है। रासायनिक परीक्षण के लिए केवल सजातीय मात्रा में टैबलेट के नमूने ही पर्याप्त हैं।

जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा ने कहा,

"पूरे थोक जब्ती को संबंधित प्रयोगशाला में भेजने की कोई आवश्यकता नहीं, बल्कि केवल उसके अवशेषों को ही प्रयोगशाला में भेजा जाना चाहिए, जिससे संबंधित लैब टेस्ट किए जा सकें।"

न्यायालय ने कहा कि सैंपल को एकसमान रूप से मिश्रित किया जाना चाहिए तथा विश्लेषण के लिए भेजी जाने वाली प्रत्येक पट्टी पर बैच संख्या दर्शाई जानी चाहिए।

इसने वित्त मंत्रालय (राजस्व विभाग) के स्थायी आदेश का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया,

“रासायनिक परीक्षण के लिए प्रत्येक नमूने में निकाली जाने वाली मात्रा सभी मादक दवाओं और मनोदैहिक पदार्थों के संबंध में 5 ग्राम से कम नहीं होगी, सिवाय अफीम, गांजा और चरस (हशीश) के मामलों में, जहां रासायनिक परीक्षण के लिए प्रत्येक मामले में 24 ग्राम की मात्रा की आवश्यकता होती है।"

आदेश में कहा गया,

"कंटेनरों में जब्त दवाओं को अच्छी तरह मिलाया जाना चाहिए, जिससे सैम्पल (दो प्रतियों में) निकाले जाने से पहले उन्हें एकसमान और प्रतिनिधि बनाया जा सके।"

ये टिप्पणियां उन याचिकाओं की सुनवाई के दौरान की गईं, जिसमें एकल न्यायाधीश की पीठ ने मामले को कानून के महत्वपूर्ण प्रश्न का उत्तर देने के लिए खंडपीठ को भेजा था क्या संपूर्ण केस संपत्ति भेजी जानी है या प्रत्येक शीशी या टैबलेट की पट्टी से नमूना रासायनिक परीक्षण के लिए एफएसएल को भेजा जाना है।

प्रावधानों और अधिसूचनाओं की जांच करने के बाद न्यायालय ने उत्तर दिया कि पूरे बल्क को भेजने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि प्रयोगशाला में भारी सामग्री को परिवहन और संग्रहीत करना अव्यावहारिक होगा। इसके बजाय, रासायनिक परीक्षण के लिए लिए गए नमूनों को सजातीय रूप से मिश्रित किया जाना चाहिए।

न्यायालय ने सैंपल लेने की प्रक्रिया पर भारत सरकार, वित्त मंत्रालय (राजस्व विभाग) द्वारा 2022 में जारी एक अधिसूचना का भी उल्लेख किया और कहा कि NDPS एक्ट की धारा 52ए के अनुसार मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में सैंपल पार्सल में संलग्न प्रतिबंधित पदार्थ का परीक्षण किए बिना बनाई गई सूची का साक्ष्य मूल्य नहीं है। इसने आगे कहा कि पुलिस विभाग यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है कि पर्याप्त भंडारण मालखानों में सुविधाएं हो।

अदालत ने कहा,

"जांच एजेंसियों पर यह दायित्व बनता है कि वे नमूनों को संबंधित प्रयोगशालाओं में तुरंत भेजें, जिससे उसमें संलग्न सामग्री की जांच हो सके।"

केस टाइटल- दीपक कुमार बनाम पंजाब राज्य [संबंधित मामले के साथ]

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