पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने जेल तोड़ने के मामले में जगतार सिंह हवारा तथा अन्य को बरी करने का फैसला बरकरार रखा

Update: 2024-10-29 07:51 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने 1998 में चंडीगढ़ की बुरैल जेल तोड़ने के कथित प्रयास में जगतार सिंह हवारा तथा नौ अन्य को बरी करने के फैसले को बरकरार रखा। हवारा वर्तमान में तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। उसे 1995 में पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के साजिशकर्ता के रूप में दोषी ठहराया गया था।

जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर तथा जस्टिस सुदीप्ति शर्मा की खंडपीठ ने अभियोजन पक्ष के मामले पर टिप्पणी करते हुए पाया कि आरडीएक्स के कब्जे में पाए गए एक आरोपी की हत्या की तारीख साबित नहीं हो सकी।

कोर्ट ने यह भी कहा कि जगतार सिंह हवारा तथा आरोपी बलविंदर सिंह, जसवंत सिंह तथा शीतला प्रसाद के साथ कथित साजिश के बारे में जेल अधिकारी द्वारा सुनी गई बातचीत का कोई साक्ष्य मूल्य नहीं है, जबकि मॉडल जेल, बुड़ैल में आरोपियों द्वारा कथित रूप से इस्तेमाल किए गए मोबाइल फोन बरामद नहीं किए गए।

अदालत ने कहा कि इसलिए साजिश में उनकी संलिप्तता का अभियोजन पक्ष का मामला ठोस सबूतों के अभाव के कारण अप्रमाणित रह गया।

इसने यह भी कहा कि अभियोजन पक्ष के गवाह लाभ सिंह जिसने कथित रूप से साजिश की बातचीत सुनी थी ने पुलिस के समक्ष ऐसा कोई बयान देने से न्यायालय में इनकार किया।

पीठ ने कहा,

"जब संबंधित जांच अधिकारी गवाह के कठघरे में आया तो उसने खुले तौर पर कहा कि उसने लाभ सिंह का बयान दर्ज किया है। हालांकि, जब उससे जिरह की गई, तो बचाव पक्ष के वकील ने उसे यह सुझाव देकर कि पुलिस के समक्ष पहले दिया गया बयान बल्कि मनगढ़ंत और छेड़छाड़ किया हुआ था उक्त बातों को साक्ष्य के रूप में प्रभावी बनाने का प्रयास किया गया।"

अदालत चंडीगढ़ जेल तोड़ने के कथित प्रयास मामले में दस आरोपियों को बरी किए जाने के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही थी। ट्रायल कोर्ट ने आरोपियों को आईपीसी की धारा 419, 420, 225-बी, 468, 120-बी और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 1908 की धारा 4, 5 और 6 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए बरी कर दिया है।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपियों ने 1995 में सीएम बेअंत सिंह हत्याकांड में गिरफ्तार आरोपियों को छुड़ाने के लिए एक-दूसरे के साथ साजिश रची थी। आरोप है कि हवारा के मार्गदर्शन में उन्होंने मॉडल जेल, बुड़ैल को विस्फोट करने की साजिश रची थी, ताकि हवारा जेल से भाग जाए।

पुलिस ने कथित तौर पर साजिश में शामिल सतनाम सिंह को मिठाई के डिब्बे में आरडीएक्स के साथ गिरफ्तार किया था।

अदालत ने कहा कि गिरफ्तारी और आरडीएक्स की बरामदगी की तारीख विधिवत साबित नहीं हुई है। खंडपीठ ने यह भी कहा कि संबंधित अभियुक्तों के खिलाफ आरोप का समर्थन करने के लिए रिकॉर्ड पर कोई विश्वसनीय साक्ष्य मौजूद नहीं है, कि मॉडल जेल, बुरैल को उड़ाने के लिए एक साजिश रची गई थी, जिसमें संबंधित अभियुक्त बंद था।

मामले में आगे कहा गया कि जेल के अंदर मोबाइल फोन उपलब्ध कराने का आरोप साबित नहीं किया जा सकता क्योंकि कथित मोबाइल फोन और सिम बरामद नहीं किए जा सके।

उपर्युक्त के आलोक में न्यायालय ने आठ अभियुक्तों को बरी करने का फैसला बरकरार रखा।

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