पंजाब और हरियाणा में जिला कोर्ट का बुनियादी ढांचा दिव्यांगों के अनुकूल नहीं, हाईकोर्ट ने भवन समितियों से कार्रवाई करने को कहा
पंजाब और हरियाणा सरकारों द्वारा दायर हलफनामे से हाईकोर्ट ने पाया कि राज्यों में जिला कोर्ट और उप-जिला कोर्ट में बुनियादी ढांचा दिव्यांगों के अनुकूल नहीं है।
चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस आलोक जैन की खंडपीठ ने कहा,
"पंजाब और हरियाणा राज्य द्वारा दायर चार्ट से पता चलता है कि दोनों राज्यों में जिला न्यायालयों और उप-मंडल न्यायालयों को दिव्यांगों के अनुकूल बनाने के लिए बुनियादी ढांचे की आवश्यकताओं में कई कमियां हैं।"
न्यायालय ने दोनों राज्यों द्वारा दी गई जानकारी को सारणीबद्ध चित्रण के साथ संबंधित भवन समितियों के समक्ष रखने का निर्देश दिया, "जो उक्त कमियों को दूर करने के लिए उचित कदम उठाएंगी।"
यह घटनाक्रम हाईकोर्ट द्वारा पंजाब, हरियाणा और यू.टी. चंडीगढ़ में न्यायिक परिसरों में बुनियादी ढांचे की कमी का स्वतः संज्ञान लेने के बाद सामने आया है, जो दिव्यांग व्यक्तियों के लिए दुर्गम हो सकते हैं।
सुनवाई के दौरान, हाईकोर्ट की ओर से उपस्थित वकील ने कहा कि दिव्यांग व्यक्तियों के लिए बुनियादी ढांचे और सुविधा की पहुंच के आकलन और मूल्यांकन की जिम्मेदारी दिव्यांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण विभाग, भारत सरकार की है, जिसे पक्षकार बनाया जाना चाहिए।
तदनुसार, न्यायालय ने भारत सरकार, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, दिव्यांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण विभाग (दिव्यांगजन) को प्रतिवादी के रूप में पक्षकार बनाने का आदेश दिया।
न्यायालय ने एएसजी सत्य पाल जैन को संघ की ओर से निर्देश प्राप्त करने का निर्देश दिया।
मामला आगे के विचार के लिए 16 दिसंबर को सूचीबद्ध किया गया।
केस टाइटल: न्यायालय अपने स्वयं के प्रस्ताव पर बनाम पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट, चंडीगढ़ और अन्य