POCSO केस | हाईकोर्ट ने पत्रकार चित्रा त्रिपाठी को राहत दी, गुरुग्राम कोर्ट का गिरफ्तारी वारंट खारिज किया

Update: 2024-12-10 06:09 GMT

टीवी न्यूज एंकर और पत्रकार चित्रा त्रिपाठी (ABP News) को राहत देते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने गुरुग्राम कोर्ट के दो आदेशों को खारिज किया, जिसमें POCSO केस के सिलसिले में उनके खिलाफ गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया।

गुरुग्राम कोर्ट ने पिछले महीने उनकी जमानत रद्द करते हुए और कोर्ट के सामने व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट के लिए उनका आवेदन खारिज करते हुए यह आदेश पारित किया था। यह आदेश इसलिए पारित किया गया, क्योंकि कोर्ट ने पाया कि त्रिपाठी कोर्ट की कार्यवाही को बहुत हल्के में ले रही थीं। पिछले महीने इसी कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका भी खारिज कर दी थी।

अपने आदेश में एडिशनल जिला और सेशन जज अश्विनी कुमार मेहता ने संबंधित SHO को वारंट (30 नवंबर के लिए) तामील करने और वारंट तामील न होने की स्थिति में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया था। जब 30 नवंबर को यह वारंट तामील नहीं हुआ तो न्यायालय ने उनके खिलाफ फिर से गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।

दोनों गिरफ्तारी वारंटों को चुनौती देते हुए त्रिपाठी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां उनके वकील ने कहा कि उन्होंने उस तिथि पर व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट मांगी थी, क्योंकि वह राज्य चुनावों को कवर करने के लिए महाराष्ट्र के नासिक जा रही थीं।

इसके अलावा यह भी तर्क दिया गया कि जिम्मेदार पत्रकार के रूप में त्रिपाठी आरोपों की गंभीरता से अच्छी तरह वाकिफ हैं। मुकदमे के शीघ्र निपटारे में बहुत रुचि रखते हैं। इसलिए उन्होंने प्रार्थना की कि उनके खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट को रद्द किया जाए।

हालांकि उनके वकील ने इस संबंध में एक नई याचिका दायर करने की स्वतंत्रता के साथ निचली अदालत के समक्ष याचिकाकर्ता की व्यक्तिगत उपस्थिति से स्थायी छूट की मांग करने वाली याचिका को वापस ले लिया।

उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस निधि गुप्ता की पीठ ने मामले की योग्यता पर टिप्पणी किए बिना गुरुग्राम अदालत के आदेश को खारिज कर दिया। उन्हें 18 दिसंबर को संबंधित अदालत में पेश होने का निर्देश दिया। एकल न्यायाधीश ने मूल जमानत बांड और उनके जमानतदारों के बांड भी बहाल कर दिए और मुकदमे को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया।

गौरतलब है कि इस मामले में एंकर दीपक चौरसिया, चित्रा त्रिपाठी और अजीत अंजुम, सैयद सोहेल सहित 8 पत्रकारों के खिलाफ पहले ही आरोप तय किए जा चुके हैं, जिन पर कथित तौर पर एक दस वर्षीय लड़की और उसके परिवार के 'मॉर्फ्ड, संपादित और अश्लील' वीडियो प्रसारित करने और इसे स्वयंभू बाबा आसाराम बापू के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले से जोड़ने का आरोप है।

इस मामले में फंसे आठ मीडिया पेशेवरों में अजीत अंजुम, एंकर सुहैल और रिपोर्टर सुनील दत्त हैं, जिन्होंने न्यूज़ 24 के साथ काम किया और निर्माता अभिनव राज जो इंडिया न्यूज़ के लिए काम करते थे।

इन सभी पर धारा 120बी, 469 और 471 आईपीसी; धारा 67बी और 67 आईटी अधिनियम; और धारा 23 और 13सी POCSO Act के तहत आरोप लगाए गए।

सभी आठ लोगों पर आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाया गया, जिसके तहत लगभग 10 साल की नाबालिग लड़की और उसके परिवार का जाली वीडियो तैयार करने के लिए सहमत हुए, जिसमें पीड़िता और उसके परिवार को अभद्र तरीके से दिखाया गया और उसे समाचार चैनलों पर प्रसारित किया गया, जिससे पीड़िता और उसके परिवार की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा।

इसके अलावा, उन पर इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड (वीडियो क्लिप) को जाली बनाने और संपादित करने का भी आरोप लगाया गया, जिसका इरादा था कि जाली दस्तावेज या रिकॉर्ड पीड़िता और उसके परिवार की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाएगा या यह जानते हुए कि इसका उस उद्देश्य के लिए उपयोग किए जाने की संभावना है। इसे संबंधित चैनलों पर प्रसारित किया और जाली/संपादित वीडियो क्लिप को समाचार चैनलों पर प्रसारित करके लड़की को अभद्र और अश्लील तरीके से प्रस्तुत किया।

पिछले हफ्ते रिपब्लिक भारत न्यूज के एंकर मोहम्मद सोहेल की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने गुरुग्राम की ट्रायल कोर्ट का आदेश खारिज कर दिया, जिसने जमानत रद्द कर दी थी और उनके खिलाफ गिरफ्तारी का गैर-जमानती वारंट (NBW) जारी किया था।

अदालत ने उन्हें 12 दिसंबर 2024 को या उससे पहले ट्रायल कोर्ट/ड्यूटी मजिस्ट्रेट के सामने आत्मसमर्पण करने और नियमित जमानत के लिए आवेदन देने का निर्देश दिया।

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