ध्वनि प्रदूषण पर अंकुश लगाने के निर्देशों का पालन नहीं किया गया तो जिला मजिस्ट्रेट, SSP व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होंगे: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने दोहराया
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने दोहराया कि यदि अधिकारी ध्वनि प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए 2019 में जारी किए गए निर्देशों का उचित अनुपालन सुनिश्चित करने में विफल रहते हैं तो जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होंगे।
2019 में न्यायालय ने यह सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए कि रात में 10 बजे से शाम 6 बजे तक लाउड स्पीकर का उपयोग न किया जाए और निजी स्वामित्व वाली ध्वनि प्रणाली का परिधीय शोर स्तर क्षेत्र के लिए निर्दिष्ट परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक से 5dB(A) अधिक न हो।
चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल की खंडपीठ ने कहा कि यदि पुलिस उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ FIR दर्ज करके अपना वैधानिक कार्य करने में विफल रहती है तो पीड़ित व्यक्ति धारा 156(3) CrPC (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS) की धारा 175) के तहत मजिस्ट्रेट से संपर्क करने के लिए स्वतंत्र है।
उपरोक्त निर्देश जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक को दोषमुक्त नहीं करता है, क्योंकि उन्हें 2019 में हाईकोर्ट द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी ठहराया गया।
अदालत ने कहा,
"जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक को सतर्क रहने का निर्देश दिया जाता है और पंजाब, हरियाणा और यूटी चंडीगढ़ राज्यों के किसी भी जिले के किसी भी नागरिक द्वारा बताए गए किसी भी उल्लंघन पर कानून के अनुसार उचित कदम उठाए जाएंगे, जितनी जल्दी हो सके।"
ये टिप्पणियां अंबाला के एक गुरुद्वारे में लगाए गए लाउडस्पीकरों से ध्वनि प्रदूषण को रोकने की याचिका पर सुनवाई करते हुए की गईं। पंजाब राज्य को भी अपनी रिपोर्ट देने के लिए पक्ष बनाया कि क्या रीत मोहिंदर सिंह बनाम पंजाब राज्य और अन्य का कार्यान्वयन किया जा रहा है।प्र
स्तुतियां सुनने के बाद न्यायालय ने कहा कि यह उचित होगा कि चूंकि ध्वनि प्रदूषण वायु प्रदूषण का हिस्सा है और वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम 1981 के दंडात्मक प्रावधानों के तहत दंडनीय है। इसलिए याचिकाकर्ता को संबंधित क्षेत्राधिकार वाले पुलिस स्टेशन से संपर्क करने और न्यायालय द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के किसी भी उल्लंघन की स्थिति में FIR दर्ज करने की स्वतंत्रता दी जाती है।
न्यायालय ने यह भी कहा कि पुलिस को सुप्रीम कोर्ट द्वारा ललिता कुमारी बनाम यूपी सरकार 2013 (4) आरसीआर (आपराधिक) 979 में निर्धारित समय सीमा का पालन करना चाहिए।