भांग की जंगली खेती से निपटने के लिए विशेषज्ञ समिति गठित: राज्य और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट को बताया
पंजाब, हरियाणा और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन चंडीगढ़ ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट को सूचित किया कि शहरों में भांग की जंगली खेती की समस्या से निपटने के लिए बागवानी विभाग कृषि विभाग और कृषि यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों की एक समिति गठित की गई है और इस मुद्दे से निपटने के लिए विशेषज्ञों की सलाह मांगी गई।
चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल शहरों में अंधाधुंध तरीके से उग रहे भांग के पौधों के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई कर रहे थे।
न्यायालय ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के साथ-साथ पंजाब और हरियाणा राज्यों के वकील इस बात पर एकमत हैं कि भांग की जंगली खेती की समस्या से निपटने की जरूरत है।
पिछली सुनवाई में न्यायालय ने सरकारी वकीलों से कहा कि वे इस क्षेत्र के विशेषज्ञों की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें कि क्या उक्त समस्या का कोई स्थायी समाधान है या नहीं।
खंडपीठ ने कहा,
"चूंकि तीन प्रतिष्ठानों द्वारा पहले ही प्रयास किए जा चुके हैं, इसलिए वह समय देने के लिए इच्छुक है।”
इससे पहले जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस संदीप मौदगिल की खंडपीठ ने चंडीगढ़ प्रशासन और नगर परिषद को शहर में भांग की जंगली खेती को हटाने के प्रति उदासीन रवैये के लिए फटकार लगाई।
न्यायालय ने तब टिप्पणी की थी,
"यह न्यायालय इस तरह के जवाब से आश्चर्यचकित है, जिसमें आकस्मिक हलफनामा दायर किया गया। (नगर निगम) इस तरह के मुद्दे को पूरी गंभीरता से संबोधित करने की आवश्यकता है और श्रमिकों सहित कर्मचारियों की विशेष टीम को यह सुनिश्चित करने के लिए तैनात किया जाना चाहिए कि भांग के पौधे की ऐसी जंगली वृद्धि फिर कभी न हो, लेकिन ऐसा लगता है कि नगर निगम चंडीगढ़ का इरादा ऐसा नहीं है।”
मामला आगे के विचार के लिए 09 दिसंबर को सूचीबद्ध किया गया।
केस टाइटल: न्यायालय अपने स्वयं के प्रस्ताव पर बनाम पंजाब राज्य और अन्य